यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ के ब्रेन ट्यूमर रिसर्च सेंटर ने एस्प्रिन का एक ऐसा घुलनशील दृव्य विकसित किया है, जो बैरियर को हटा कर ट्यूमर तक दवा पहुंचाने का रास्ता बना देगा।
ब्रेन कैंसर के इलाज में अभी तक सबसे बड़ी चुनौती दवा को रक्त अवरोध से पार ट्यूमर तक पहुंचाना होता था,लेकिन वैज्ञानिकों ने अब इसका तोड़ खोज निकाला है। लैब में परीक्षण के दौरान पाया गया कि इसके प्रयोग से ब्रेन के स्वस्थ ऊतकों को बिना हानि पहुंचाए कैंसर कारक ग्लियोब्लॉस्टोमा कोशिकाओं को मारा जा सकता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ के ब्रेन ट्यूमर रिसर्च सेंटर के प्रमुख, स्यू फैरिंगटन स्मिथ के अनुसार, यह रिसच भविष्य में ब्रेन कैंसर के इलाज में गेम चेंजर साबित होगी। अन्य कैंसर के मुकाबले 40 की उम्र से पहले ब्रेन कैंसर की वजह से सबसे अधिक मौतें होती हैं।
दिमाग में ब्लड-ब्रेन-बैरियर उस ढाल की तरह होता है, जो कि मस्तिष्क को रोगाणुओं से सुरक्षित रखता है। यह मस्तिष्क तक सिर्फ रक्त, पानी और कुछ गैस व घुलनशील अणुओं को ही पहुंचने देता है। यह एक बेहद सुरक्षित सिस्टम होता है। लेकिन इसकी वजह से ब्रेन ट्यूमर तक सही तरीके से दवा न पहुंचने के कारण बड़ा खतरा भी होता है।
हालांकि पिछले साल वैज्ञानिकों की एक टीम ने कीमो थैरिपी की मदद से ड्रग को सही जगह पहुंचाने में सफलता हासिल की थी। लेकिन ब्रिटिश वैज्ञानिकों की इस खोज ने दवा को पहुंचाना और भी आसान कर दिया है।
यह रिसर्च अभी तक किसी प्रतिष्ठित जर्नल मे´ प्रकाशित नहीं हो सकी है, लेकिन यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ के वैज्ञानिकों की टीम ने इसे पोलैंड के ब्रेन ट्यूमर्स कॉन्फ्रेंस 2016 में पेश किया था।