उत्तर प्रदेश में पिछले दस साल के दौरान हुए चार चुनावों में भाजपा की बात करें तो दिलचस्प आंकड़े सामने आये हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा को वोट तो फ़ायदा हुआ है मगर सीट का घाटा उठाना पड़ा। बिलकुल ऐसा ही नतीजा विधानसभा के पिछले दो चुनावों में देखने को मिला। मगर दोनों ही बार का नुकसान भाजपा को डेंट नहीं मार सका।
नतीजे बताते हैं कि बीते दस साल में होने वाले चार चुनावों में भाजपा उस समय लाभ में रही जब मुकाबला बहुकोणीय हुआ लेकिन गठबंधन की कमज़ोरी के चलते पार्टी को दूसरी बार घाटा उठाना पड़ा है। पिछले के मुकाबले इस चुनाव में भाजपा के वोट शेयर में डेढ़ फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ जबकि मगर उसकी सीटें 312 से कम होकर 255 हो गई।
भारतीय जनता पार्टी लगातार दूसरी बार भी विधानसभा चुनाव में लोकसभा का प्रदर्शन नहीं दुहरा सकी। 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले में भाजपा को विधानसभा चुनाव में करीब 3 फीसदी कम वोट मिले थे। इस विधानसभा चुनाव में बीते लोकसभा चुनाव के मुकाबले करीब नौ फीसदी कम वोट मिले हैं।
लोकसभा चुनाव में अगर 2014 की बात करें तो भाजपा को बहुकोणीय मुकाबले का भरपूर लाभ मिला था। उस समय सपा, कांग्रेस और बसपा अपना जोर आज़मा रही थीं। उस समय भाजपा को गठबंधन के साथ राज्य की 80 में से 73 सीटों पर कब्ज़ा मिला था और उसका वोट प्रतिशत भी 43 था। लेकिन अगर 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो सपा-बसपा के साथ आ जाने के कारण मुकाबले का ध्रुवीकरण हुआ और इस चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत 50 पार किया था लेकिन सीटें 73 से घट कर 64 ही बची थीं।