वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए दिल्ली में अब कृत्रिम बारिश कराने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए तैयार योजना को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी का इन्तिज़ार है।
कृत्रिम बारिश के लिए बुधवार को आईआईटी कानपुर और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय व अन्य अधिकारियों के बीच मीटिंग हुई। दिल्ली में इस समय सबसे कठोर प्रतिबन्ध ग्रैप-4 लागू है।
मीटिंग के बाद पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि नवंबर की शुरुआत से ही राजधानी में हवाओं की रफ़्तार काफी कम है। हवाओं की गति इसी तरह रहने पर अगले एक हफ्ते या इससे भी अधिक समय तक यही स्थिति बनी रह सकती है।
दिल्ली में 20 और 21 नवंबर को हल्के बादलों की संभावना है और ऐसे में पहली बार कृत्रिम बारिश हो सकती है। ट्रायल की तैयारियां इन दो दिनों के लिए की जा रही हैं।
क्या दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए होगी कृत्रिम बारिश?
दिल्ली में 20-21 नवंबर को कृत्रिम बारिश करवा सकती है दिल्ली सरकार
IIT कानपुर की टीम ने दिया प्रस्ताव
दिल्ली सरकार ने IIT कानपुर से विस्तृत प्रस्ताव मांगा
IIT कानपुर से मिले प्रस्ताव को दिल्ली सरकार शुक्रवार को… pic.twitter.com/bFQ0xF2V2B
— Sharad Sharma (@sharadsharma1) November 8, 2023
मंत्री और अधिकारीयों की आईआईटी कानपुर के साथ यह दूसरी बैठक थी। इससे पहले यह लोग 12 सितंबर को एक बैठक कर चुके हैं।
कृत्रिम बारिश को क्लाउड सीडिंग कहते हैं। इसमें केमिकल एजेंट्स जैसे सिल्वर आयोडाईड, ड्राई आइस और साधारण नमक को बादलों में छोड़ा जाता है।
कृतिम बारिश के लिए प्राकृतिक बादलों की मौजूदगी जरूरी है। क्योंकि नवंबर के महीने में राजधानी में बादलों की उपस्थिति सबसे कम रहती है, ऐसे में क्लाउड सीडिंग में समस्या आ सकती है।
कृत्रिम बारिश करवाने में एक बार में करीब 10 से 15 लाख रुपये का खर्च आता है। हालाँकि अभी तक इसके अधिक प्रमाण नहीं मिले हैं कि इस तरह की बारिश प्रदूषण को कितना कम करेगी। अबतक करीब 53 देशों में इस तरह के प्रयोग किये जा चुके हैं।
इससे पहले कानपुर आईआईटी द्वारा इस तरह के कुछ ट्रायल हुए हैं, जिसमे छोटे एयरक्राफ्ट से बारिश कराइ गई है। इससे पहले वर्ष 2019 में भी कृत्रिम बारिश की तैयारियां हुई थीं मगर बादल की गैर मौजूदगी के साथ इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन की मंजूरी की समस्या भी थी।