मुफ्त राशन मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया है कि2025 में क्या हम अभी भी ‘गरीबी’ का टैग ढो रहे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने रोज़गार पैदा करने तथा बुनियादी ढांचे का निर्माण काम को भी मुफ्त राशन बांटने जितना महत्वपूर्ण बताया है।
इसका बोझ टैक्सपेयर्स पर पड़ने की बात कहते हुए कोर्ट ने कहा कि राज्य राशन कार्ड, मुफ्त राशन जारी करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते केंद्र इसे दे। आगे वह कहते हैं कि केंद्र देगा, मगर किस कीमत पर? बुनियादी ढांचे, रोजगार पैदा करने के लिए पैसा कहां से लाएंगे? इस मुद्दे की ओर ध्यान देने की बात अदालत में कही गई।
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष अदालत ने याद दिलाया है कि रोज़गार पैदा करना तथा बुनियादी ढांचे का निर्माण करना भी मुफ्त राशन बांटने जितना अहम हैं। सुप्रीम कोर्ट में मुफ्त राशन बांटने पर जस्टिस कांत ने सवाल किया कि क्या देश 2025 में भी गरीबी के उसी स्तर पर अटका हुआ है, जिस पर 2011 में था, जब पिछली जनगणना हुई थी।
कोर्ट ने पहले भी सवाल किया था कि इन लोगों को मुख्यधारा के समाज का हिस्सा न बनाकर, क्या हम परजीवियों का एक वर्ग नहीं बना रहे हैं?
इस के जवाब में याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण का कहना था कि पिछले दशक में जनसंख्या में बढ़ोतरी के साथ ही ग़रीब लोगों की संख्या भी बढ़ी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में भी इस मामले पर एतराज जताते हुए टिप्पणी की थी कि लोगों को बिना कोई काम किए मुफ्त राशन मिल रहा है। कोर्ट का कहना था कि मुफ्त राशन की वजह से जब चुनाव का ऐलान होता है, तो लोग काम करने को तैयार नहीं होते। कोर्ट ने उस समय भी सवाल किया था कि इन लोगों को मुख्यधारा के समाज का हिस्सा न बनाकर, क्या हम परजीवियों का एक वर्ग नहीं बना रहे हैं?
बताते चलें कि इससे पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि फूड सिक्योरिटी की समस्या का लॉन्ग टर्म समाधान रोज़गार उत्पन्न करना है।
गौरतलब है कि कोर्ट प्रवासी श्रमिकों के लिए फूड सिक्योरिटी से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी। याचिका में केंद्र और राज्यों को कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान प्रवासी श्रमिकों के लिए फूड सिक्योरिटी, कैश ट्रांसफर और अन्य वेलफेयर वाले उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश देने की मांग की गई थी।