ऐश्वर्या राय व अभिषेक बच्चन की बेटी आराध्या बच्चन की एक याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने गूगल से लेकर यूट्यूब तक को सख्त चेतावनी देने के साथ लिखित जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी।
आराध्या बच्चन की सेहत से संबंधित फर्जी समाचार की रिपोर्टिंग के लिए यूट्यूब टैब्लॉइड के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में मांग की गई थी कि इस रिपोर्टिंग पर रोक लगाईं जाए। याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने गूगल और यूट्यूब समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आराध्या की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी तरह की सामग्री के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है।
कोर्ट ने कहा कि आराध्या मुंबई के स्कूल में पढ़ने वाली एक स्वस्थ बच्ची हैं, लेकिन कुछ दुष्ट लोग केवल प्रचार के लिए कुछ समय से यूट्यूब पर यह कहते हुए वीडियो प्रसारित कर रहे हैं कि वह गंभीर रूप से बीमार है। यहां तक कि एक वीडियो में तो यह भी दावा किया गया कि वह अब नहीं रही।
Aaradhya Bachchan: आराध्या बच्चन की याचिका पर दिल्ली HC ने सुनाया फैसला, फर्जी कंटेंट को लेकर दिया ये निर्देश#AaradhyaBachchan #आराध्याबच्चनhttps://t.co/DHJcXmJWH0
— Newsroompost (@NewsroomPostCom) April 20, 2023
आराध्या की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमों के नियम 3(1)बी(3) का हवाला देते हुए कहा कि यह नियम बिचौलियों द्वारा बच्चों के लिए हानिकारक सामग्री के संबंध में समुचित सावधानी बरतने का प्रावधान करता है।
मामले की सुनवाई के साथ न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने यूट्यूब चैनल की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता से कहा कि आप सिर्फ जानकारी देने की सुविधा दे रहे हैं और आपको इसकी सच्चाई से मतलब होना चाहिए। साथ ही सवाल उठया कि इस तरह के मामले से निपटने के लिए आपके पास नीति क्यों नहीं है।
कोर्ट ने इसे मानहानि का नहीं बल्कि गलत सूचना प्रसारण का मामला बताया है। कोर्ट ने यूट्यूब की जीरो टॉलरेंस नीति पर ऐतराज़ जताते हुए कहा कि अगर आप यूट्यूब से फायदा ले रहे हैं तो आप पर सामाजिक जिम्मेदारी भी है।