नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक विवाहित महिला के यौन शोषण के आरोपी 2 पादरियों को गिरफ्तारी से मिला अंतरिम सरंक्षण सोमवार को रद्द कर दिया और उन्हें 13 अगस्त तक आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि दोनों पादरियों को एक बार आत्मसमर्पण करने के बाद नियमित जमानत की अपील करने की आजादी है।
पीडि़ता के वकीलों ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने इंटरनेट पर कुछ वीडियो अपलोड की और उन्होंने उसे ब्लैकमेल करने के लिए इस वीडियो का इस्तेमाल किया। इससे पहले कोर्ट ने मालंकारा सीरियन ऑर्थोडॉक्स चर्च के चार पादरियों से जुड़े यौन शोषण मामले की अब तक की जांच के बारे में पुलिस से स्थिति रिपोर्ट दायर करने के लिए कहा था।
2 पादरियों फादर सोनी वर्गीज और फादर जेस के जॉर्ज ने 19 जुलाई को गिरफ्तारी से संरक्षण मांगा था। उन्होंने अपील की थी कि उच्चतम न्यायालय जब तक उनकी अग्रिम जमानत याचिकाओं पर फैसला नहीं देता तब तक उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण दिया जाए। केरल उच्च न्यायालय से 11 जुलाई को याचिका खारिज होने के बाद पादरियों ने अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
मालंकारा सीरियन ऑर्थोडॉक्स चर्च के चार पादरियों पर 34 वर्षीय विवाहित महिला के चर्च के समक्ष कबूलनामे का इस्तेमाल करके उससे यौन शोषण करने का आरोप है। मामले में दो आरोपियों ने पहले ही आत्मसमर्पण कर दिया है।