दिल्ली जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक कंपनी को भ्रामक विज्ञापन के कारण 15 लाख रुपये का हर्जाना देने का आदेश दिया है। यह आदेश उपभोक्ता द्वारा 2013 में की गई शिकायत मामले में सुनाया गया है।उत्तर-पश्चिम दिल्ली के रोहिणी निवासी निखिल जैन ने 2013 में जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत में उन्होंने कंपनी की ‘फेयर एंड हैंडसम क्रीम’ का ज़िक्र किया था। क्रीम के विज्ञापन में तीन सप्ताह में गोरी त्वचा की बात कही गई थी।
बताते चलें कि निखिल जैन ने अक्तूबर 2012 में यह क्रीम खरीदी थी और इस्तेमाल के बाद कोलकाता मुख्यालय वाली सौंदर्य और कल्याण कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। निखिल जैन ने शिकायत दर्ज कराई कि कंपनी के निर्देशों के अनुसार इसका उपयोग करने के बावजूद उनकी त्वचा गोरी नहीं हुई।
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने कंपनी को राज्य उपभोक्ता कल्याण निधि के बैंक खाते में 14.5 लाख रुपये का दंडात्मक हर्जाना जमा करने के साथ निखिल जैन को 50 हज़ार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया है।
केस की सुनवाई के दौरान कंपनी का प्रतिनिधित्व करते हुए दलील दी गई कि वैज्ञानिक रूप से परखे गए इस उत्पाद से 16 से 35 वर्ष की आयु के पुरुषों को यूवी किरणों के कारण होने वाले त्वचा के कालेपन से बचाने के लिए तैयार किया गया है।
प्रोडक्ट का बचाव में यह तर्क भी दिया गया दिया कि पर्सनल केयर प्रोडक्ट से लाभ उत्पाद के उचित उपयोग के अलावा उचित पौष्टिक आहार, व्यायाम, स्वस्थ आदतें, स्वच्छ रहने की स्थिति आदि अन्य फैक्टर्स भी काम करते हैं।
इसके जवाब में निखिल जैन ने तर्क दिया कि उनके द्वारा 2012 में 79 रुपये में खरीदी गई क्रीम के पैकेट पर ये सभी निर्देश और शर्तें नहीं थीं। बैंच ने निखिल जैन के इस जवाब पर सहमति जताई।
केंद्रीय जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष इंदर जीत सिंह तथा सदस्य रश्मि बंसल की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि फेयर एंड हैंडसम क्रीम की पैकेजिंग और लेबलिंग पर बहुत कम, नगण्य और सीमित निर्देश हैं कि इसके तीन सप्ताह तक नियमित उपयोग से पुरुषों की त्वचा में गोरापन आएगा। आगे कहा गया कि उल्लिखित निर्देश अधूरे निर्देश सहित अन्य आवश्यकताओं का पालन न करने के कारण, यह दावा किए गए परिणाम नहीं देगा।
बताते चलें की आयोग की पिछली पीठ ने अक्टूबर 2015 में निखिल जैन के पक्ष में फैसला सुनाया था। हालांकि, इमामी ने राज्य उपभोक्ता आयोग में फैसले को चुनौती दी थी। बाद में मामले को अतिरिक्त सबूतों के साथ नए सिरे से निर्णय के लिए जिला आयोग को वापस भेज दिया।
निर्णय में आयोग का कहना था कि विपरीत पक्ष उत्पाद की पैकेजिंग और लेबलिंग पर नगण्य और सीमित निर्देशों के साथ उत्पाद पेश करता है। प्रोडक्ट दावा करता है कि तीन सप्ताह तक नियमित इस्तेमाल से त्वचा गोरी हो जाएगी।
आयोग के मुताबिक़ ये निर्देश अधूरे हैं और विज्ञापन में बताए गए परिणाम प्राप्त करने में नाकामयाब रहे हैं। पीठ का कहना है कि एक औसत उपभोक्ता को यह विश्वास दिलाकर गुमराह किया जा सकता है कि दिए गए निर्देशों का पालन करने से वादा किए गए नतीजे हासिल किए जा सकते हैं।