चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का कहना है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को मरने नहीं दिया जा सकता, यह केवल राष्ट्र के साथ मर सकती है। प्रशांत किशोर ने ये बयान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं के साथ बैठक के बाद यह बयान दिया है। पीके के इस बयान से कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने कांग्रेस के पुनरुद्धार का खाका प्रस्तुत कर दिया है।
लोकसभा के 2019 के चुनावों के बाद 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ है। जानकारी के मुताबिक, प्रशांत किशोर के प्रजेंटेशन में देश के राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस की वर्तमान स्थिति और उसकी सांख्यिकीय ताकत के साथ कमियों पर विशेष ध्यान दिया। देश में 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के को देखते हुएतमाम मामलों पर पार्टी के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला गया। इसमें देश की आबादी, कांग्रेस सांसदों और विधायकों की संख्या, महिलाओं, युवाओं, छोटे व्यापारियों और किसानों के पर फोकस करने के साथ अगली लोकसभा में पहली बार वोट देने वाले 13 करोड़ मतदाता भी शामिल हैं।
प्रशांत किशोर ने ठोस रणनीति की जरूरत पर ज़ोर देते हुए कांग्रेस नेतृत्व की मौजूदा उपस्थिति का ब्यौरा दिया। उन्होंने बताया कि इस समय लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस के केवल 90 सांसद हैं और 800 विधायक हैं। उन्होंने आगे बताया कि कांग्रेस तीन राज्यों में सत्ता में है, जबकि वह तीन और राज्यों में गठबंधन सरकारों का हिस्सा है। मुख्य विपक्षी दल के रू में 13 राज्यों में कांग्रेस है। पिके ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि 1984 के बाद से कांग्रेस का वोट प्रतिशत कम हुआ है।
शांत किशोर की रणनीति पर चर्चा के लिए अब पार्टी सीडब्लूसी की बैठक की तैयारी कर रही है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का कहना है कि संगठन में बदलाव प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीति के आधार पर किये जायेंगे।