आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की इस साल 133वीं जयंती मनाई जा रही है। पंडित नेहरू की जयंती को देशभर में बाल दिवस यानी चिल्ड्रंस डे के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन बच्चों की शिक्षा और उनके अधिकारों के प्रति जागरुकता फैलाने के साथ-साथ नेहरू जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
इस अवसर पर पंडित जवाहर लाल नेहरू के जीवन, आज़ादी के लिए उनके संघर्षों और आज़ाद भारत के लिए उनके प्रयास पर एक नज़र डालते हैं।
आधुनिक भारत के राष्ट्रनिर्माता और भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के सर्वोच्च नेता जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को हुआ था। स्वतन्त्र भारत की स्थापना वर्ष 1947 से लेकर 1964 तक उन्होने सत्ता की बागडोर संभाली और देश को सम्प्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, तथा लोकतान्त्रिक गणतन्त्र बनाने में एक वास्तुकार की भूमिका निभाई। बच्चों में ये चाचा नेहरू के नाम से जाने गए और इनका जन्मदिवस बाल दिवस के रूप में मनाया गया।
जवाहरलाल नेहरू ने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो से और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में पूरी की। क़ानून की पढ़ाई के लिए लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से ली। शिक्षा प्राप्ति के दौरान इंग्लैंड में व्यतीत सात वर्षों में फैबियन समाजवाद और आयरिश राष्ट्रवाद को तर्कसंगत रूप से समझने का उन्हें अनुभव मिला।
जवाहरलाल नेहरू 1912 में भारत आकर वकालत के पेशे से जुड़ गए। 1916 में कमला नेहरू उनकी धर्मपत्नी बनीं और 1917 में होम रुल लीग में शामिल हुए। नेहरू 1919 में महात्मा गांधी के संपर्क में आए और यहीं से उन्हें सक्रीय राजनीति में शामिल होने के साथ स्वतंत्र भारत का सपना पूरा करने का मन्त्र मिला। इनके साथ पूरा नेहरू परिवार भी इस आंदोलन का हिस्सा बना। नेहरू परिवार ने पश्चिमी कपड़ों और महंगी संपत्ति को त्याग कर स्वदेशी अपनाया। जवाहर लाल नेहरू ने 1920-1922 में असहयोग आंदोलन में भाग लिया पहली गिरफ्तारी दी। नेहरू 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष बने और 1926 में उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों से सहयोग की कमी का हवाला देकर इस्तीफ़ा दे दिया। 1926 – 28 तक नेहरू ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव रहे और 1928-29 में कांग्रेस के वार्षिक सत्र के आयोजन में उन्होंने सुभाष चन्द्र बोस के साथ पूरी राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग का समर्थन किया।
इंदिरा गांधी को लिखे काल्पनिक पत्र के रूप में उन्होंने विश्व इतिहास लिख डाला। इनकी रचना डिस्कवरी ऑफ इंडिया ने लोकप्रियता के प्रतिमान रचे हैं। इनकी आत्मकथा ऐन ऑटो बायोग्राफी में उनके जीवन और संघर्ष की कहानी दर्ज है।
दिसम्बर 1929 में लाहौर में आयोजित कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुने गए। 26 जनवरी 1930 को लाहौर में ही पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया। 1935 में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया। नेहरू ने बाहर से चुनाव के लिए पार्टी की खातिर राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया।इसके लिए कांग्रेस ने लगभग हर प्रांत में सरकारों का गठन किया। परिणामस्वरूप पार्टी ने केन्द्रीय असेंबली में सबसे ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की। 1936 – 37 में नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे। उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 1942 में गिरफ्तार किया गया और 1945 में आज़ाद कर दिया गया। नेहरू ने 1947 में भारत और पाकिस्तान की आजादी के समय ब्रिटिश सरकार के साथ हुई वार्ताओं में महत्त्वपूर्ण भागीदारी की।
15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद हुआ और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रथम प्रधानमन्त्री का पद संभाला। 1950 संविधान लागू होने के बाद उन्होंने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुधारों पर काम किया। इन प्रयासों की बदौलत भारत दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय नायक के रूप में उभरा। नेहरू की सरपरस्ती में उद्योग, विज्ञान कृषि आदि सभी क्षेत्रों में होने वाले विकास ने राष्ट्र को हर दिन उन्नत होने में सहायता की। उनके अन्तिम वर्षों में भारत 1962 में चीन के साथ युद्ध में असफलरहा इसके बावजूद उनकी लोकप्रियता पर आंच नहीं आई।
देश को आज़ाद कराने के साथ उसके चहुंमुखी विकास की नीव रखने वाले इस नायक को वर्ष 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इंदिरा गांधी को लिखे काल्पनिक पत्र के रूप में उन्होंने विश्व इतिहास लिख डाला। इनकी रचना डिस्कवरी ऑफ इंडिया ने लोकप्रियता के प्रतिमान रचे हैं। इनकी आत्मकथा ऐन ऑटो बायोग्राफी में उनके जीवन और संघर्ष की कहानी दर्ज है। जवाहरलाल नेहरू वांग्मय ग्रन्थ में नेहरू जी के अगणित व्याख्यान, लेख तथा पत्र शामिल हैं। इन सेवाओं की बदौलत 1955 में पंडित नेहरू को भारत रत्न से अलंकृत किया गया। 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से इनकी मृत्यु हुई।