एक नए अध्ययन में पाया गया है कि जिन लोगों ने बचपन में गंभीर आघात या तनाव का अनुभव किया है, उनमें वयस्क होने पर कई दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं विकसित होने का खतरा अन्य के मुक़ाबले में अधिक होता है।
स्कॉटलैंड में डंडी विश्वविद्यालय (University of Dundee) में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि बचपन में प्रत्येक तनावपूर्ण अनुभव बाद के जीवन में दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा 12.9 प्रतिशत तक बढ़ा देता है।
अध्ययन कहता है कि बचपन में झेले गए प्रतिकूल अनुभव (एसीई) दर्दनाक या तनावपूर्ण अनुभव हैं जो 18 वर्ष की आयु से पहले होते हैं।
सांख्यिकीय विश्लेषण से खुलासा होता है कि अनुभव की गई प्रत्येक बचपन की प्रतिकूलता के लिए, बाद के जीवन में मल्टीमॉर्बिडिटी होने की संभावना 12.9% बढ़ जाती है।”
दीर्घकालिक स्वास्थ्य स्थितियों पर एसीइ (adverse childhood experience) के प्रभाव को स्थापित करने के लिए, डॉ. धन सेनारत्ने के नेतृत्व में विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन की एक टीम ने 370,000 से अधिक लोगों को शामिल किया। इसके अलावा करीब 25 अध्ययनों की मेटा-विश्लेषण द्वारा एक व्यवस्थित समीक्षा भी की गई।
डॉ. सेनारत्ने का कहना है- “जैसे-जैसे वैश्विक आबादी बढ़ती जा रही है, हम कई दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त लोगों की संख्या में वृद्धि देख रहे हैं।”
इनमे विभिन्न प्रकार के नकारात्मक अनुभव को शामिल किया गया है, जिनमें हिंसा, उपेक्षा, घरेलू समस्याएं और बदमाशी, सूखा या युद्ध का शिकार होना शामिल है।
इस विषय पर पहले भी शोध किए जा चुके हैं और इन परिणामों के आने से पहले एसीई को वृद्धावस्था में खराब स्वास्थ्य और सामाजिक परिणामों के अधिक जोखिमों से जोड़ा गया था।