केंद्र सरकार हिंडनबर्ग रिपोर्ट द्वारा अडानी पर लगाए गए आरोपों की जाँच के लिए रज़ामंद हो गयी है। जांच समिति सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बनेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 17 फरवरी को फिर आने और समिति बनाने के सम्बन्ध में जानकारी देने की बात कही है।
हिंडनबर्ग विवाद पर सुनवाई करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार को भविष्य में निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक समिति नियुक्त करने पर कोई ऐतराज़ नहीं है। साथ ही ये जानकारी भी दी कि सेबी स्थिति का सामना करने के लिए सक्षम है।
इस मामले पर केंद्र से सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार 17 फरवरी को फिर उपस्थित होने और समिति बनाने के सम्बन्ध में जानकारी देने का आदेश दिया है। इसके लिए केंद्र ने ये भी कहा कि वह नियामक तंत्र पर प्रस्तावित पैनल के लिए डोमेन विशेषज्ञों के नाम सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में को देना चाहता है।
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— Amar Ujala (@AmarUjalaNews) February 13, 2023
इससे पूर्व सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित याचिकाओं पर सेबी से 13 फरवरी तक जवाब तलब किया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने सेबी अदालत को यह बताने का आदेश दिया था कि भविष्य में निवेशकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए और सुप्रीम कोर्ट की मौजूदा संरचना का भी खुलास किया जाए। साथ ही कोर्ट ने यह जानकारी भी मांगी थी कि नियामक ढांचे को कैसे मजबूत किया जा सकता है?
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के द्वारा अडानी ग्रुप पर फर्जी लेनदेन और शेयर की कीमतों में हेरफेर जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे। इसके चलते अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आई है। रिपोर्ट के जवाब में अडानी ग्रुप ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वह सभी कानूनों और सूचना सार्वजनिक करने संबंधी नीतियों को पालन करता है।