नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली बुधवार को अपना चौथा आम बजट पेश करेंगे. मंगलवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वे में भी सरकार ने स्वीकार किया है नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को झटका लगा है. Budget
ऐसे में जेटली बजट में कुछ कर राहत दे सकते हैं जिससे अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिल सके. इसके अलावा 93 साल में यह पहला मौका होगा जब रेल बजट पेश नहीं होगा.
ऐसे में यह बजट कई मायनों में अलग है. यह भी पहली बार हो रहा है कि आम बजट 28 या 29 फरवरी की बजाय 1 फरवरी को पेश किया जा रहा है.
सरकार चाहती है कि सालाना खर्च से जुड़ी योजनाओं और प्रस्तावों को अगले वित्त वर्ष शुरू होने से काफी पहले संसद की मंजूरी मिल सके. नोटबंदी की मार झेल चुके आमजनों को उम्मीद कि जेटली इस बार आयकर छूट की सीमा को 2.5 लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपये करेंगे.
जीएसटी के चलते सेवा कर बढ़ सकता है. आयकर छूट में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. अगर ऐसा हुआ तो इनकम आठ लाख रुपए तक की इनकम कर मुक्त हो सकती है.
बजट में आयकर में छूट 2.5 लाख से बढ़कर तीन लाख रुपए सालाना करके जेटली राहत दे सकते हैं. 80सी के तहत फिलहाल 1.5 लाख रुपए और नेशनल पेंशन स्कीम के अंतर्गत 2 लाख रुपए की छूट मिलती है.
यह सीमा बढ़ाकर 80सी के तहत 2 लाख और एनपीएस के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए की जा सकती है. होम लोन की ब्याज पर अभी 2 लाख रुपये की छूट मिलती है.
इसे बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए किया जा सकता है. इस तरह अभी 80सी, एनपीएस और होम लोन के इंटरेस्ट को मिलाकर जो 6.5 लाख रुपए सालाना की छूट मिलती है. वह बढ़कर 8 लाख रुपए हो सकती है. अगर ऐसा हो जाता है तो काफी राहत मिलेगी.
2.5 लाख रुपए तक कोई टैक्स नहीं लगता. 2.5 से 5 लाख रुपए की इनकम पर 10% टैक्स लगता है. 5 से 10 लाख रुपए की इनकम पर 20% टैक्स लगता है.
10 लाख रुपए से ज्यादा की इनकम पर 30% टैक्स लगता है. सभी स्लैब में इनकम टैक्स पर 3% एजुकेशन सेस भी लगता है. 60 से 80 साल की उम्र हो तो 3 लाख रुपए और 80 से ज्यादा उम्र के लोगों को 5 लाख रुपए तक की सालाना इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना होता.
नोटबंदी में सबसे ज्यादा मार उद्योग क्षेत्र में पड़ी है. ऐसे में सरकार कॉर्पोरेट टैक्स में 2% की कटौती कर सकती है. इससे मौजूदा दर 30% से घटाकर 28% किया जा सकता है.
सरकार का टारगेट 2018-19 तक कॉर्पोरेट टैक्स को 25 फीसदी पर लाने का है. हालांकि जानकारों का कहना है कि कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30 प्रतिशत से नीचे लाना आसान नहीं होगा क्योंकि सरकार के चालू वित्त वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद की 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर के अनुमान में नोटबंदी से पैदा हुए दिक्कतों को शामिल नहीं किया गया है.