कोरोना वायरस के बढ़ते प्रयास के बीच सबसे बड़ी समस्या प्रभावित लोगों को जल्द टेस्ट करने की है. अब कार कंपनियों को कल पुर्जों की सप्लाई करने वाली जर्मन कंपनी बॉश ने जल्द और सुरक्षित टेस्टिंग का रास्ता निकाला है.
जर्मनी की दिग्गज कंपनी बॉश की एक छोटी शाखा चिकित्सा तकनीक के क्षेत्र में भी काम करती है. कोरोना वायरस पर दुनिया भर में बढ़ती चिंताओं के बीच कंपनी ने खबर दी है कि उसने वायरस को टेस्ट करने का एक तेज तरीका निकाल लिया है. इस तकनीक की मदद से सैंपल को कहीं दूर किसी लैब में भेजे बिना ढाई घंटे के अंदर टेस्ट किया जा सकेगा कि वह वायरस से संक्रमित है या नहीं. इसमें समय की बचत तो होगी ही, सैंपल को ट्रांसपोर्ट करने में होने वाला खर्च भी नहीं होगा.
जर्मन मीडिया ने खबर दी है कि वायरस टेस्ट के नए तरीके के बारे में कंपनी के प्रमुख फोल्कमर डेनर ने जानकारी दी है. बॉश प्रमुख का कहना है कि इस तेज टेस्ट की मदद से “संक्रमित लोगों की जल्द शिनाख्त हो सकेगी और उन्हें आइसोलेट किया जा सकेगा.” फोल्कमर डेनर का कहना है कि इस जानलेवा वायरस के खिलाफ संघर्ष में समय बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है और टेस्ट की जगह पर शीघ्र भरोसेमंद डायग्नोसिस बॉश के समाधान का सबसे बड़ा फायदा है.
अब तक जो टेस्ट जल्दबाजी में किए जा रहे हैं, उनके बारे में सबसे बड़ी समस्या उनके सही और भरोसेमंद होने की है. जर्मनी में बड़े संयमित तरीके से टेस्ट किया जा रहा है क्योंकि बीमारी के लक्षणों के सामने आने से पहले होने वाले टेस्ट पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता और उनके सटीक होने पर भी संदेह हैं. लेकिन बॉश द्वारा विकसित तकनीक के बारे में कहा जा रहा है कि लैब में किए गए विभिन्न टेस्ट में नतीजे 95 फीसदी सटीक रहे हैं. बॉश द्वारा दी गई जानकारी में कहा गया है, “तेज टेस्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्वालिटी शर्तों को पूरा करता है.”
बॉश का कहना है कि वायरस के तेज टेस्ट की विधि इतनी आसान है कि उसके लिए खास तौर पर प्रशिक्षित कर्मचारियों की जरूरत नहीं होगी. टेस्ट के लिए सैंपल एक फाहे की मदद से गले या नाक से लिया जाएगा और उसे एक कार्ट्रिज में रखा जाएगा. इस कार्ट्रिज में टेस्ट के लिए जरूरी सारे रिएजेंट मौजूद हैं जो जांच में मदद करते हैं. फिर इस कार्ट्रिज को जांच के लिए बॉश द्वारा तैयार मशीन में डाला जाएगा. मशीन की सही कीमत तो नहीं बताई गई है लेकिन कंपनी का कहना है कि उसकी कीमत मौजूदा टेस्टों की ही तरह है. कार्ट्रिज की कीमत सौ यूरो से नीचे है जबकि जांच करने वाली मशीन की कीमत 10,000 यूरो से ज्यादा होगी.
इस मशीन में दिन भर में 10 टेस्ट किए जा सकेंगे. इस समय बॉश की ये मशीन उसकी विभिन्न प्रयोगशालाओं और श्टुटगार्ट के रॉबर्ट बॉश अस्पताल में हैं. कंपनी का कहना है कि इस मशीन को बड़े पैमाने पर बनाने की क्षमता कंपनी के चिकित्सा तकनीक कारखाने में उपलब्ध है. नया टेस्ट अप्रैल के महीने से पहले जर्मनी में उपलब्ध होगा. इस मशीन की खासियत ये है कि इसकी मदद से कोविड-19 के अलावा फ्लू जैसी सांस की दूसरी बीमारियों में भी किया जा सकेगा.
बॉश हेल्थकेयर सॉल्यूशंस के प्रमुख मार्क मायर के हवाले से कंपनी के बयान में कहा गया है, “डिफ्रेंशियल डायोग्नेसिस की मदद से डॉक्टरों का समय दूसरे टेस्टों के लिए बचेगा, उन्हें जल्द भरोसेमंद डायोग्नेसिस मिलेगी और उसके बाद वे जल्दी समुचित उपचार शुरू कर पाएंगे.” बॉश ने इस विधि का विकास उत्तरी आयरलैंड की रैंडॉक्स कंपनी के साथ मिलकर किया है. अब कंपनी ये भी कोशिश कर रही है कि अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों का भी जल्दी से टेस्ट हो सके ताकि वे लंबे समय तक मरीजों की सेवा कर सकें.(dw.com)