नई दिल्ली। देश में आर्थिक सुधार के लिए उठाए गए सबसे बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा जीएसटी विधेयक राज्यसभा में निर्विरोध पारित हो गया। जीएसटी बिल के समर्थन में जहां 203 वोट पड़े। हालांकि इस बीच AIADMK सांसद वोटिंग से ठीक पहले वॉकआउट कर गए। इस बिल के अगले साल 1 अप्रैल से लागू होने की उम्मीद है।
इस संशोधित विधेयक के जरिये एकसमान वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के लागू होने का रास्ता साफ हो जाएगा। इसके माध्यम से केंद्रीय उत्पाद कर तथा राज्य वैट – बिक्री कर सहित सभी परोक्ष कर इसी में शामिल हो जाएंगे। संशोधित प्रावधानों के अनुसार जीएसटी परिषद को केंद्र एवं राज्यों अथवा दो या अधिक राज्यों के बीच आपस में होने वाले विवाद के निस्तारण के लिए एक प्रणाली स्थापित करनी होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पारित होने का स्वागत किया। उन्होंने इसे सही मायनों में एक ऐतिहासिक अवसर करार दिया और इसके लिए सभी दलों के नेताओं और सदस्यों का आभार व्यक्त किया। पीएम मोदी ने कहा, जीएसटी सहयोगपूर्ण संघवाद का सर्वोत्तम उदाहरण होगा, हम सब मिल कर भारत को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
इससे पहले सरकार ने कांग्रेस के एक प्रतिशत के अतिरिक्त कर को वापस लेने की मांग को मान लिया तथा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आश्वासन दिया कि जीएसटी के तहत कर दर को यथासंभव नीचे रखा जाएगा। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संविधान (122वां संशोधन) विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि मार्गदर्शक सिद्धांत होगा कि जीएसटी दर को यथासंभव नीचे रखा जाए। निश्चित तौर पर यह आज की दर से नीचे होगा।
वित्त मंत्री के जवाब के बाद सदन ने शून्य के मुकाबले 203 मतों से विधेयक को पारित कर दिया। साथ ही इस विधेयक पर लाए गए विपक्ष के संशोधनों को खारिज कर दिया गया। यह विधेयक लोकसभा में पहले पारित हो चुका है। किन्तु चूंकि सरकार की ओर से इसमें संशोधन लाए गए हैं, इसलिए अब संशोधित विधेयक को लोकसभा की मंजूरी के लिए फिर भेजा जाएगा। राज्यसभा में विधेयक पर मतदान से पहले सरकार के जवाब से असंतोष जताते हुए AIADMK ने सदन से वॉकआउट किया। वहीं कांग्रेस ने इस विधेयक को लेकर अपने विरोध को तब त्याग दिया, जब सरकार ने 1% मैन्यूफैक्चरिंग टैक्स को हटा लेने की उसकी मांग को मान लिया। साथ ही इसमें इस बात का साफ तौर से जिक्र किया गया कि राज्यों को होने वाली राजस्व हानि की पांच साल तक की भरपाई की जाएगी।
जीएसटी दर की सीमा को संविधान में रखने की मांग पर जेटली ने कहा कि इसका निर्णय जीएसटी परिषद करेगी, जिसमें केंद्र एवं राज्यों का प्रतिनिधित्व होगा। इससे पहले विधेयक पेश करते हुए वित्तमंत्री ने इसे ऐतिहासिक कर सुधार बताते हुए कहा कि जीएसटी का विचार वर्ष 2003 में केलकर वर्कफोर्स की रिपोर्ट में सामने आया था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आम बजट में जीएसटी के विचार को सार्वजनिक तौर पर सामने रखा था। जेटली ने कहा कि जीएसटी का मकसद भारत को एक बाजार के रूप में समन्वित करना और कराधान में एकरूपता लाना है। उन्होंने कहा कि जीएसटी से पीने वाले अल्कोहल को बाहर रखा गया है तथा पेट्रोलियम उत्पादों के बारे में जीएसटी परिषद तय करेगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद के फैसलों में दो तिहाई मत राज्यों का और एक तिहाई मत केंद्र का होगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी से केंद्र और राज्यों का राजस्व बढ़ेगा, साथ ही करवंचना कम होगी। उन्होंने कहा कि विवाद होने की स्थिति में जीएसटी परिषद ही विवादों का निस्तारण करेगी। यदि परिषद में विवादों का समाधान नहीं हो पाता है तो उसके समाधान के लिए परिषद ही कोई तंत्र तय करेगी। कांग्रेस द्वारा वित्त मंत्री से जीएसटी के संबंध में सीएसटी और आईसीएसटी के संदर्भ में लाए जाने वाले विधेयकों के धन विधेयक नहीं होने का आश्वासन मांगे जाने पर जेटली ने कहा कि वह इस संबंध में कोई भी आश्वासन देने की स्थिति में नहीं हैं। जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद ने अभी तक विधेयक का मसौदा तैयार नहीं किया है। इस मुद्दे पर परिषद में कोई विचार विमर्श भी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों की सिफारिशों का पूर्वानुमान लगाकर वह कैसे कोई आश्वासन दे सकते हैं। हालांकि जेटली ने कहा कि वह इस बात का आश्वासन दे सकते हैं कि इस संबंध में लाए जाने वाले विधेयक संविधान और परम्पराओं के अनुरूप होंगे। उन्होंने कहा कि इस बारे में राजनीतिक दलों से विचार विमर्श किया जाएगा। अब सरकार केंद्र द्वारा लागू किए जाने वाले जीएसटी के लिए सीएसटी विधेयक तथा विभिन्न राज्यों के बीच लगाए जाने वाले कर के लिए आईएसटी विधेयक भी सरकार लाएगी। साथ ही जीएसटी से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक के लिए 50 प्रतिशत राज्य विधायिकाओं से मंजूरी ली जानी है।