अमरीकी मंडी के साथ दक्षिण एशयाई देश बांग्लादेश की अस्थिर राजनीती ने मंदी को और भी मज़बूती दी जिसके नतीजे में भारतीय बाजार गोते खाता नज़र आने लगा। बांग्लादेश में तख्तापलट की खबर का असर भी शेष विश्व की अर्थ व्यवस्था पर नज़र आया।
सुबह से ही अमरीकी बाज़ार में मंडी के अनुमान का असर सारी दुनिया में देखने को मिला। सप्ताह के पहले दिन सोमवार को भारत सहित दुनियाभर के बाजारों में भूचाल का माहौल रहा और ज़बरदस्त गिरावट दर्ज की गई।
इन हालात में भारत के प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स में करीब पौने तीन परसेंट की गिरावट देखने को मिली और यह 2,222.55 अंक गिरकर 78,759.40 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी इसी अनुपात में गिरावट रही और 2.68फीसद घटकर यह 24,055.60 पर बंद हुआ।
इस उथल-पुथल के बीच मंदी की आशंका को देखते हुए भारतीय शेयर बाजार आज 2,600 अंकों की गिरावट देखने को मिली। इस बीच हेवीवेट शेयरों की गिरावट से निफ्टी 24000 के नीचे चला गया। इस गिरावट के नतीजे में बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 17 लाख करोड़ रुपये घटकर 440.16 लाख करोड़ रुपये तक आ गया।
इस समय यूरोप, एशियाई अमरीकी बाजार भरपूर गिरावट का सामना कर रहे हैं। इन देशों के बेंचमार्क इंडेक्स गोते लगाते नजर आ रहे यहीं। इसका असर रुपये की कीमत पर भी पड़ा और यह डॉलर के मुकाबले 16 पैसे की गिरावट के साथ अपने सर्वकालिक निचले स्तर 82.88 रुपये पर बंद हुआ।
सप्ताह के पहले कारोबारी दिन में भारतीय बाजार अपने बंद होने के समय तक बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का मार्केट कैप 15.34 लाख करोड़ रुपये घटकर 441.82 लाख करोड़ रुपये रह गया है।
फ्रांस, स्पेन और ब्रिटेन के बाजारोंसहित अन्य एशियाई शेयर बाजारों में भी भारी बिकवाली नजर आई। जापान में सप्ताह के पहले दिन के कारोबारी सत्र के दौरान बेंचमार्क इंडेक्स वर्ष 1987 के ब्लैक मंडे से भी अधिक घाटे की स्थिति में पहुँच गया। जापान का बेंचमार्क निक्केई 12.40% की गिरावट के साथ 31,458.42 पर बंद हुआ। इसे अक्टूबर 1987 के बाद से अब तक की सबसे बड़ी एक दिवसीय गिरावट बताया जा रहा है।