संतकबीरनगर। अयोध्या मसले का समाधान आपसी बातचीत के जरिये निकालने के लिये प्रयासरत आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर की बयानबाजी को बेतुका करार देते हुये अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञान दास ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निगाह में अच्छा बनने की चाहत ने श्री श्री को उलूल जुलूल बयान देने के लिये मजबूर किया है।
भारत को सीरिया बनाने संबंधी के बयान पर ज्ञान दास ने कहा आध्यात्मिक गुरू कोई साधु संत नही हैं वह सिर्फ बकवास करते हैं और सरकार के इशारे पर बोलते हैं। प्रधानमंत्री की निगाह में अच्छा बनना चाहते हैं। यह उनका आडम्बर है। अयोध्या में मिलने आये थे मगर संतो ने उनको नकार दिया। हमने कहा कि जब मामला न्यायालय में चला गया है तो श्री श्री का कोई मतलब नही है।
उन्हाेंने कहा कि केंद्र और प्रदेश में दोनों जगह भाजपा की सरकार है। अब मंदिर निर्माण में क्या दिक्कत है। उन्होंने कहा कि रविशंकर समझौते के नाम पर लोगों को मूर्ख बना रहे हैं। महंत ने कहा कि तीन हिस्से में बांटने के लिए 2010 में अदालत का एक निर्णय आया था जिस पर हम लोगों ने पहल की जिससे यह लग रहा था कि राम मंदिर बन जायेगा जिसमें सब कुछ हो गया था लेकिन अशोक सिंघल, विनय कटियार और राम विलास वेदांती इसमें बाधक बन गए। अब जो कुछ भी होगा न्यायालय से होगा।
धर्मगुरू ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनना ही चाहिए लेकिन ऐसा मंदिर नहीं बनना चाहिए जो खून की धारा से बना हो। ऐसा मंदिर बने जो दूध की धार से बना हो। लेकिन नेताओं ने उलझा रखा है। राम मंदिर के मुद्दे को जब तक राजनीति से अलग नहीं किया जाएगा तब तक राम मंदिर नहीं बनेगा और न ही तब तक देश का विकास नहीं हो सकता।