नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में ऐप आधारित टैक्सी सेवाओं के खिलाफ ऑटो-रिक्शा और टैक्सी चालक हड़ताल पर हैं। दिल्ली में करीब 85,000 ऑटो-रिक्शा और 15,000 काली-पीली टैक्सियां हैं। इनको हड़ताल पर चले जाने से लोगों को आवागमन के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
20 ट्रांसपोर्ट यूनियनों की संयुक्त कार्य समिति के मुताबिक, इस हड़ताल को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों की ऑटो और टैक्सी (काली-पीली) यूनियनों ने भी अपना समर्थन दिया है और वे भी इस हड़ताल में भाग ले रहे हैं।
दिल्ली ऑटोरिक्शा संघ और दिल्ली प्रदेश टैक्सी यूनियन के महासचिव राजेंद्र सोनी ने कहा कि यूनियन की ओर से दिल्ली सरकार के साथ बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि हालांकि यदि दिल्ली सरकार उनसे बातचीत करना चाहती है तो वह अपने प्रतिनिधि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भेज सकती है, जहां ड्राइवर धरना दे रहे हैं।
यूनियन का कहना है कि हमारे पास हड़ताल के सिवाय कोई रास्ता नहीं है। सभी गाडिय़ों के परमिट दिल्ली सरकार ने दिए हैं। इन्हें मीटर से चलाने चाहिए। आरटीआई में लिखकर दिया है कि ओला व उबर गलत चल रही है और एनसीआर की गाडिय़ां दिल्ली में चला रहे हैं। जो नियमानुसार गलत है। दो दिन के अंदर मांगे नहीं मानीए तो हड़ताल लम्बी चलेगी। यूनियन ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर भूख हड़ताल शुरू करने की चेतावनी दी है।
उधर, दिल्ली सरकार ने इस हड़ताल को राजनीति से प्रेरित बताया है और कहा है कि एप आधारित कैब सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने का फैसला उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है, इसलिए इस मामले में केंद्र सरकार को ही कुछ करना चाहिए।