ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने एक ऐसे कोविड शॉट को बनाने का काम शुरू कर दिया है जो विशेष रूप से नए स्ट्रेन के लिए असरदार होगा।
इस महीने की शुरुआत में फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन और एस्ट्राजेनेका सहित सभी प्रमुख दवा बनाने वाली कंपनियों ओमिक्रॉन वेरिएंट के लिए वैक्सीन बनाने की बात कही थी।
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ ऑक्सफोर्ड के एक शोध समूह के प्रमुख सैंडी डगलस ने कहा- “वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न के कई पिछले वेरिएंट्स की तरह और हमारे भागीदारों एस्ट्राजेनेका के साथ, हमने जरूरत पड़ने पर एक अपडेटिड वैक्सीन के उत्पादन को लेकर प्रारंभिक कदम उठाए हैं। उन्होंने आगे कहा कि एडेनोवायरस-आधारित टीके किसी भी नए वेरिएंट से लड़ने के लिए उपयोग में लाए जा सकते हैं।
डगलस ने कहा कि ऐसे समय पर जब कई तार्किक चुनौतियां हमारे सामने हैं, वास्तव में इसके महत्वपूर्ण फायदे होंगे। द लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि भारत में कोविशील्ड नामक ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा दो खुराक प्राप्त करने के तीन महीने बाद कम हो जाती है। एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम के निष्कर्ष बताते हैं कि गंभीर बीमारी से सुरक्षा बनाए रखने में मदद के लिए बूस्टर खुराक की जरूरत होती है।
समाचार पत्र ने एस्ट्राजेनेका के हवाले से कहा, “ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर, हमने एक ओमिक्रॉन वेरिएंट वैक्सीन बनाने के लिए प्रारंभिक कदम उठाए हैं।” इसमें आगे बताया गया है कि भविष्य में सामने आने वाले आंकड़ों से लोगों को सूचित कर दिया जाएगा।