कैलिफोर्निया: टेक्नोलॉजी की बड़ी कम्पनी एप्पल ने 92 देशों में आईफोन उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षा चेतावनी जारी की है।
एक ईमेल के ज़रिए भेजी गई इस चेतावनी में कंपनी ने कहा है कि एप्पल ने उपयोगकर्ताओं को निशाना बनाने वाले भाड़े के स्पाइवेयर हमले की पहचान की है। इस हमले की ख़ास वजह यह पता लगाना है कि उपयोगकर्ता कौन है और क्या करता है।
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अन्य देशों की तुलना में इस मामले में भारत सबसे ज्यादा प्रभावित देश है। एप्पल कम्पनी की ओर से हमलावरों की पहचान से सम्बन्धित कोई जानकारी नहीं दी गई है मगर इतना संकेत ज़रूर मिला है कि यह मैलवेयर इज़राइली इएसओ के पेगासस से जुड़ा प्रकार हो सकता है जो पहले भारत के कई यूज़र्स के फ़ोन को अपना निशाना बना चुका है।
ईमेल में कहा गया है कि भाड़े के हमले साइबर अपराध और उपभोक्ता मैलवेयर की तुलना में दुर्लभ और अधिक पेचीदा होने की वजह से काफी अलग होते हैं।
मेल में यह जानकारी भी दी गई है कि इन संगठित हमलों में लाखों डॉलर खर्च किए जाते है और विशिष्ट लोगों को निशाना बनाया जाता है। ये हमला विश्व स्तर पर चल रहा है।
ईमेल में आगे कहा गया है कि यदि आपका डिवाइस भाड़े के स्पाइवेयर हमले से प्रभावित है, तो हमलावर आपकी संवेदनशील जानकारी, यहां तक कि कैमरा और माइक्रोफ़ोन तक भी पहुंच सकते हैं।
By Omer Dursun – Apple has sent out security alerts to iPhone users warning of sophisticated spyware attacks targeting specific individuals. The company detected a "mercenary" hacking campaign and notified people. #Apple #iPhone #Spyware https://t.co/baPHIK5S7l
— NeowinFeed (@NeowinFeed) April 11, 2024
गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में एप्पल ने भारत में कई पत्रकारों और विपक्षी राजनेताओं के आईफोन में ख़ुफ़िया तौर पर पेगासस द्वारा निगाह रखे जाने की जानकारी दी थी। कई पत्रकार और विपक्षी नेता इसका शिकार हुए थे।
इनमे प्रमुख विपक्षी नेता राहुल गाँधी सहित कांग्रेस के शशि थरूर, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, शिव सेना (यूबीटी) की प्रियंका चतुर्वेदी, सीपीआई (एम) के सीताराम येचुरी, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन आदि के नाम शामिल थे।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दिसंबर 2023 में जानकारी दी थी कि उसे कुछ भारतीय पत्रकारों के फोन पर पेगासस स्पाइवेयर मिला है। बताते चलें कि पेगासस टूल की खरीदारी केवल सरकारों द्वारा ही सम्भव है लेकिन इस सम्बन्ध में अभी तक केंद्र सरकार की तरफ से न ही कोई पुष्टि की गई है और न ही इस बारे में किसी तरह का खंडन सामने आया है।