राष्ट्रपति चुनाव मे अपनी हार को लगातार नकारने के साथ ही ट्रम्प, अमरीका को ऐसे रास्ते की ओर ले जा रहे हैं जो बहुत ही ख़तरनाक है।
अमरीका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन की विजय की घोषणा के बावजूद ट्रम्प अब भी चुनाव में अपनी हार स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। वे यही दावा कर रहे हैं कि चुनाव में मैं ही विजयी हुआ हूं।
अपने हालिया ट्वीट में ट्रम्प ने लिखा है कि चुनाव में धांधली, किसी षडयंत्र की थ्योरी नहीं बल्कि यह एक वास्तविकता है। कुछ रिपब्लिकन्स की ओर से साथ छोड़ दिये जाने से ट्रम्प बहुत आहत हैं। उन्होंने कहा है कि इस विश्वासघात को मैं कभी भूल नहीं सकता।
इसी बीच ट्रम्प के कुछ निकटवर्ती भी कुछ ऐसी बातें कर रहे हैं जिनसे, वाइट हाउस में विद्रोह कराए जाने की बू आती है। अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल फ्लायन ने दो सप्ताह पहले ट्रम्प से मांग की थी कि कुछ राज्यों में चुनाव कराने के लिए वे सेना का प्रयोग कर सकते हैं।
माइकल का संकेत उन राज्यों की ओर था जहां के बारे में ट्रम्प का यह मानना था कि वे वहां पर निश्चित रूप से जीतेंगे। हालांकि हुआ उल्टा। पेंसिलवेनिया जैसे अमरीकी राज्यों में चुनावी परिणाम, जो बाइडन के हित में मुड़ गए। इसके अतिरिक्त अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार फ्लायन ने रविवार को ट्रम्प के समर्थकों से मांग की थी कि 6 जनवरी 2021 को वे सड़कों पर आकर विरोध जताएं। 6 जनवरी को ही कांग्रेस, जो बाइडन की विजय की आधिकारिक पुष्टि करेगी।
इन्ही बातों के कारण अमरीका में अब ऐसे हालात हो चुके हैं कि इस देश के संचार माध्यम इस बात के प्रति सचेत कर रहे हैं कि डोनाल्ड ट्रम्प, अपनी सत्ता के अन्तिम दिनों में कोई भी ऐसा अप्रत्याशित काम कर सकते हैं जिससे अमरीका में अशांति उत्पन्न हो। गुरूवार को न्यूज़वीक ने लिखा था कि ट्रम्प की ओर से अमरीका में मिलेट्री रूल लगाए जाने की संभावना को रद्द नहीं किया जा सकता। अमरीकी सैनिकों की गतिविधियों को देखकर इस प्रकार की संभावनाएं जताई जा रही हैं। हालांकि इससे पहले अमरीकी सेना की ओर से यह ऐलान किया जा चुका है कि वह देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी किंतु पेंटागन से कुछ लोगों को निकालने और उनके स्थान पर कुछ लोगों को लाने से जानकारों के बीच चिंताएं बढ़ रही हैं।
अब यह लग रहा है कि जिस प्रकार से अमरीकी समाज दो फाड़ में बंट चुका है वैसा ही अब अमरीकी सेना में भी होने जा रहा है। यह संभावना जताई जा रही है कि अमरीकी सेना का एक भाग ट्रम्प की हां में हां मिलाने लगे क्योंकि अमरीका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की पराजय से ज़ायोनी लाॅबी बिल्कुल भी खुश नहीं है।
हालांकि यह भी एक वास्तविकता है कि अमरीका के इतिहास में यह नहीं मिलता की सत्ता को बचाने के लिए सैन्य विद्रोह का सहारा लिया गया हो। लेकिन जिस तरह से ट्रम्प महोदय और उनके चाटुकारों ने उनके सत्ताकाल में सत्ता, धन और अधिकारों का दुरुपयोग करके गुलछर्रे उड़ाए हैं वे ही इस बात को लेकर भयभीत हैं कि ट्रम्प महोदय की सत्ता के बाद अपने कुकर्मों के कारण उन्हें निश्चित रूप में क़ानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा। इससे बचने के लिए ट्रम्प एंड कंपनी अब कुछ भी कर सकती है।
जिन चुनावों में ट्रम्प को पराजय का मुंह देखना पड़ा और जिस पराजय को वे अभी तक हज़्म नहीं कर पाए हैं उस चुनाव में उनको 70 मिलयन अमरीकियों के मत हासिल हुए। इनमें से अधिकांश जातिवादी और नस्लपरस्त हैं जो सशस्त्र भी हैं।
ऐसे लोग किसी भी प्रकार के परिवर्तन को स्वीकार नहीं करते बल्कि अपनी मनमानी चाहते हैं। कुछ टीकाकारों का कहना है कि ऐसा भी हो सकता है कि अमरीका के टेनेसी राज्य में क्रिसमस के दिन होने वाला धमाका और न्यूयार्क के बम रखने की धमकी जैसे विषयों को ट्रम्प, अपने राजनैतिक जीवन को आगे बढ़ाने के लिए प्रयोग कर सकते हैं।