रमज़ान के महीने को तीन भागों में बांटा जाता है. 10 दिन के पहले भाग को ‘रहमतों का दौर’ बताया गया है. 10 दिन के दूसरे भाग को ‘माफी का दौर’ कहा जाता है और 10 दिन के आखिरी हिस्से को ‘जहन्नुम से बचाने का दौर’ पुकारा जाता है.
नई दिल्ली: माह-ए-रमज़ान (Ramadan) 17 मई से शुरू होने वाला है. इस बार रमज़ान के पूरे महीने में 5 जुमे पड़ेंगे. पहला जुमा रमज़ान शुरू होने के अगले 18 मई को पड़ेगा, वहीं, 15 जून को आखिरी जुमा होगा, जिसे अलविदा जुमा कहा जाता है. आखिरी जुमे के अगले दिन ही ईद मनाई जाएगी.
इससे भी ज़्यादा खास बात यह है कि इस बार 14 जून को सबसे लंबा रोज़ा पड़ने वाला है. हर बार रोज़े का वक्त 14-15 घंटे से कम वक्त में ही खत्म हो जाता है, लेकिन 14 जून को सबसे लंबा रोज़ा 15 घंटे 6 मिनट का होगा. वहीं, 11 जून को शब-ए-कद्र होगी, जिसके दौरान रोज़ा रखने वाले रातभर इबादत करते हैं.
आपको बता दें, रमज़ान का महीना पूरे 30 दिन का होता है, और हर रोज़ रोज़ा रखा जाता है. मान्यता है कि इस्लामी कैलेंडर के इस महीने के दौरान हर रोज़ कुरान पढ़ने से ज़्यादा सबाब मिलता है.
वहीं, रोज़े को इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना गया है. इस महीने मुसलमान तकवा हासिल करने के लिए रोज़ा रखते हैं. तकवा का अर्थ है अल्लाह को नापसंद काम न कर उनकी पसंद के कामों को करना. आसान शब्दों में कहा जाए तो यह महीना मुसलमानों के लिए सबसे खास होता है.
रमज़ान के तीन दौर
आपको बता दें कि रमज़ान के महीने को तीन भागों में बांटा जाता है. 10 दिन के पहले भाग को ‘रहमतों का दौर’ बताया गया है. 10 दिन के दूसरे भाग को ‘माफी का दौर’ कहा जाता है और 10 दिन के आखिरी हिस्से को ‘जहन्नुम से बचाने का दौर’ पुकारा जाता है.