सौर मिशन में इसरो ने चौथी बार आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाई है। अब पृथ्वी से इसकी सबसे कम दूरी 256 किमी और सबसे ज्यादा दूरी 1 लाख 21 हजार 973 किमी हो गई है।
आदित्य सोलर मिशन की लॉन्चिंग 2 सितंबर को की गई थी। इसरो ने 15 सितंबर की रात करीब 2:15 बजे चौथी बार आदित्य L1 की ऑर्बिट सफलतापूर्वक बढ़ाई। इसके लिए कुछ देर के लिए थ्रस्टर फायर किए गए।
इसरो ने तीन सितंबर को पहली बार आदित्य एल1 की कक्षा बदली थी। दूसरी बार पांच सितंबर को इस प्रक्रिया के तहत आदित्य L1 की कक्षा बदली गई। फिर10 सितंबर की रात तक़रीबन 2.30 बजे तीसरी बार आदित्य L1 स्पेसक्रॉफ्ट की ऑर्बिट बढ़ाई थी। उस समय इसे पृथ्वी से 296 किमी x 71,767 किमी की कक्षा में शिफ्ट किया गया था।
अगले चरण में अब 19 सितंबर को रात 2 बजे इसे लैग्रेंज पॉइंट L1 की कक्षा में स्थापित करने के लिए ऑर्बिट बढ़ाई जाएगी।
सूर्य की ओर तेजी से बढ़ता जा रहा है आदित्य एल1, चौथी बार कक्षा बदलने में हुआ कामयाब; आगे क्या होगा?
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.#AdityaL1 #AdityaL1Mission #ISRO #ISROMission #IndiaNews #GlobalNews #ISRONewshttps://t.co/J1vVYTvCYa— Republic Bharat – रिपब्लिक भारत (@Republic_Bharat) September 15, 2023
सौर मिशन के तहत भारत के पहले आदित्य-एल1 की कक्षा बदलने की चौथी प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हो चुकी है। इसरो ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट करके ये जानकारी दी।
Aditya-L1 Mission:
The fourth Earth-bound maneuvre (EBN#4) is performed successfully.ISRO's ground stations at Mauritius, Bengaluru, SDSC-SHAR and Port Blair tracked the satellite during this operation, while a transportable terminal currently stationed in the Fiji islands for… pic.twitter.com/cPfsF5GIk5
— ISRO (@isro) September 14, 2023
इस ऑपरेशन के दौरान इसरो के मॉरीशस, बंगलूरू और पोर्ट ब्लेयर स्थित ग्राउंड स्टेशनों से मिशन की प्रक्रिया को ट्रैक किया गया।
इसरो ने दो सितंबर को भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 की लॉन्चिंग की थी। इसरो ने पीएसएलवी सी57 लॉन्च व्हीकल से आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।
गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से ये लॉन्चिंग की गई थी। चंद्रयान-3 की तरह इस मिशन में भी आदित्य L1 स्पेसक्रॉफ्ट पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और फिर यह सूरज की दिशा में उड़ान भरेगा।
इसरो से मिली जानकारी के अनुसार, सूर्य हमारे सबसे करीब मौजूद तारा है। यह मिशन तारों के अध्ययन में हमारी सबसे ज्यादा मदद कर सकता है। इससे प्राप्त होने वाली जानकारियां खगोल विज्ञान के कई रहस्य और नियम समझने में सहायक होंगी।
पृथ्वी से सूर्य की दूरी तक़रीबन 15 करोड़ किमी है। आदित्य एल1 इस दूरी का मात्र एक प्रतिशत ही तय कर रहा है, लेकिन यह मिशन सूर्य के बारे में हमें ऐसी कई जानकारियां देगा, जिनका पृथ्वी से पता करना मुमकिन नहीं होता।