बुधवार को संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष व भारत इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पापुलेशन साइंसेज ने इंडिया एजिंग रिपोर्ट, 2023 जारी की। ये रिपोर्ट भारतीय आबादी में बुजुर्ग होने पर आने वाली समस्याओं, उनके निदान व समाधान को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
अगले तीन दशकों में भारत में हर पांच में से एक व्यक्ति बुज़ुर्ग होगा। यूएन की रिपोर्ट खुलासा करती है कि सदी के अंत में कुल आबादी का 36 फीसद बुज़ुर्ग होंगे। यह प्रतिशत अभी महज 10.1 हैं। वर्तमान संख्या बताती है कि तकरीबन 15 साल में 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के नागरिकों की संख्या दोगुनी हो जाएगी।
भारत में बुज़ुर्गों की तादाद बढ़ने का आग़ाज़ वर्ष 2010 से हो गया है जो आने वाले समय के साथ बढ़ता जाएगा। इसके कारणों पर निगाह डालें तो पाते हैं कि देश में बुज़ुर्गों की बढ़ती संख्या के पीछे तीन प्रमुख कारण हैं- प्रजनन क्षमता का कम होना, मृत्यु दर में कमी और उत्तरजीविता में वृद्धि। बीते एक दशक में देश में प्रजनन क्षमता में 20 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है।
रिपोर्ट के अनुसार आने वाले समय में ‘निर्भरता अनुपात’ चिंता का विषय होगा होगा। देश की कुल आबादी 2022 से 2050 के दौरान करीब 18 फीसदी बढ़ेगी, जबकि वृद्धों की संख्या में 134 फीसदी की वृद्धि होगी।
इंडिया एजिंग रिपोर्ट इस बात का भी खुलासा करती है कि बुज़ुर्ग पुरुषों के मुकाबले बुज़ुर्ग महिलाओं की संख्या ज्यादा होगी। देश में 2000 से 2022 के दौरान भारत की कुल आबादी करीब 34 फीसदी बढ़ी है, जबकि इस बीच 60 से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या में 103 फीसदी का इजाफा हुआ है।
प्रजनन क्षमता घटने और जीवनयापन बेहतर होने से बुज़ुर्गों की संख्या बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे में भारत सहित पूरी दुनिया की आबादी बुढ़ापे की तरफ बढ़ रही है। वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर 7.9 अरब की आबादी में से करीब 1.1 अरब लोग 60 वर्ष से अधिक उम्र के थे। यह आबादी का करीब 13.9 फीसदी हिस्सा है। अनुमान के अनुसार 2050 तक वैश्विक आबादी में बुजुर्गों की संख्या बढ़कर करीब 2.2 अरब पहुंच जाएगी जो 22% होगी।
2021 में राष्ट्रीय स्तर पर बुज़ुर्गों की आबादी 10.1% थी। अनुमान के मुताबिक़ ये 2036 में 15% हो जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार आने वाले समय में ‘निर्भरता अनुपात’ चिंता का विषय होगा। फिलहाल 100 कामकाजी लोगों पर 16 वृद्ध, जबकि प्रति 100 बच्चों की तुलना में 39 बुजुर्ग हैं।
भारत में बुजुर्गों की तादाद बढ़ने के तीन महत्वपूर्ण कारणों में से एक है प्रजनन क्षमता का घटना। बीते एक दशक में देश में प्रजनन क्षमता में 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। 2008-10 के मध्य देश की कुल प्रजनन दर 86.1 थी, जो 2018 से 2020 के दौरान घटकर 68.7 प्रतिशत रह गई है।
UNFPA India, in collaboration with the International Institute for Population Sciences (IIPS), is proud to launch the "India Ageing Report 2023" which sheds light on the challenges, opportunities, & institutional responses surrounding elderly care in India.
Stay tuned for more! pic.twitter.com/ck2qLZ2uzv
— UNFPA India (@UNFPAIndia) September 27, 2023
कुल आबादी के हवाले से बुजुर्गों के राष्ट्रीय औसत से कम संख्या वाले 11 राज्य हैं। इनमें बिहार देश का सबसे युवा राज्य है जहाँ बुजुर्ग आबादी 7.7 फीसद है। उत्तर प्रदेश 8.1 फीसद बुजुर्ग आबादी के साथ वर्तमान में सबसे युवा राज्य है। इसके अलावा शीर्ष पांच राज्यों में असम 8.2 फीसद के साथ तीसरे नंबर पर है जबकि झारखंड 8.4 फीसद के साथ चौथे नंबर पर है। राजस्थान और मध्य प्रदेश 8.5 प्रतिशत के साथ इस सूची में पांचवें पायदान पर हैं।
केरल में बुजुर्गों की उत्तरजीविता में वृद्धि व प्रजनन दर में तीव्र गिरावट हुई है। नतीजे में 60 पार उम्र की 16.5 फीसद आबादी के साथ केरल सबसे बुजुर्ग राज्य है।
चिंताजनक बात यह है कि 2022 से 2050 के दौरान देश की कुल आबादी करीब 18 फीसदी बढ़ेगी, जबकि वृद्धों की संख्या में 134 फीसदी की वृद्धि होगी। विशेषरूप से 80 से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या में 279 फीसदी का इज़ाफ़ा होगा।
ऐसे में देश के सामने कई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियां खड़ी होंगी। वर्ष 2031 तक 60 से अधिक उम्र की आबादी में 1000 पुरुषों पर 1078 महिलाएं होंगी। क्योंकि देश में 70 फीसदी आबादी ग्रामीण है और बढ़े बुजुर्गों की संख्या गांवों में ज्यादा होगी।
बुज़ुर्गों के अधिकारों की बात करें तो भारतीय संविधान का अनुच्छेद 41 बताता है कि राज्य अपनी आर्थिक क्षमता के मुताबिक बुज़ुर्गों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के उपाय करेगा।
साथ ही भारत सरकार मैड्रिड इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन ऑन एजिंग 2002 के मुताबिक जनसंख्या की वृद्धावस्था संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए नीति और कार्यक्रम तय करती आ रही है।