उत्तर प्रदेश में दुपहिया सड़क हादसों पर काबू पाने के लिए प्रशासन ने कानून और कड़े कर दिए हैं। ‘हेलमेट नहीं तो फ्यूल नहीं’ नीति के साथ और भी कई नीतियों को पूरे प्रदेश में लागू किया गया है।
उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग द्वारा ‘हेलमेट नहीं तो फ्यूल नहीं’ नीति के तहत बिना हेलमेट वालों को फ्यूल नहीं देने की नीति का प्रस्ताव दिया है। इसेक लिए परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने एक आधिकारिक पत्र के माध्यम से सभी पेट्रोल पंप संचालकों को निर्देश दिया है। इसके तहत किसी भी पेट्रोल पंप से बगैर हेलमेट पहने दुपहिया सवार को पेट्रोल नहीं दिए जाने के आदेश हैं।
उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग द्वारा ‘हेलमेट नहीं तो फ्यूल नहीं’ नीति लागू करने का प्रस्ताव दिया है। इस नीति का मक़सद दुपहिया वाहन दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के साथ सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देना है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन हादसों पर चिंता व्यक्त करते हुए परिवहन नियमों को सख्त बनाने का आदेश दिया है। ऐसे में हेलमेट नहीं तो फ्यूल नहीं’ नीति को एक प्रभावी समाधान के रूप में लागू किया गया है। यह नीति राज्य के सभी 75 जिलों में लागू की गई है।
गौरतलब है कि राज्य में हर वर्ष 25-26 हज़ार लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं के कारण होती है। आंकड़े बताते हैं कि इनमे अधिकांश दोपहिया वाहन चालकों की मृत्यु का कारण हेलमेट न पहनना है।
प्रदेश में इस नीति को मोटर वाहन अधिनियम 1988 और उत्तर प्रदेश मोटर वाहन नियम 1998 के तहत लागू किया गया है। इन नियमों के प्रति पेट्रोल पंप संचालकों सचेत और जागरूक किया जा रहा है।
नीति के व्यापक प्रचार के लिए पेट्रोल पंप पर ‘हेलमेट नहीं, ईंधन नहीं’ का संदेश देने वाले बोर्ड लगाए जाएंगे। नीति को सफल बनाने के लिए परिवहन विभाग सोशल मीडिया, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की मदद से अभियान को आम जन तक पहुंचाने में सहयोग लेगा।
पुलिस सहित आरटीओ द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पेट्रोल पंप संचालक नीति का पालन ठीक तरीके से करें। इसके अलावा नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।