संसद के शीतकालीन सत्र में शुक्रवार को भी असहमति के हालात बने रहे। इस बीच लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार 2 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।
25 नवंबर से शुरू हुए होने वाले शीतकालीन सत्र में सदन की कार्यवाही सिर्फ 40 मिनट चली। दोनों सदन यानी लोकसभा और राज्यसभा में हर दिन औसतन 10-10 मिनट तक कामकाज हुआ।
इस बीच लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष द्वारा अडानी और संभल मुद्दा पुरज़ोर अंदाज़ में उठाया गया। कार्यवाही के दौरान विपक्षी सांसद के लगातार किए जाने वाले हंगामे पर स्पीकर ने उन्हें बैठने की बात कही मगर विपक्ष अपनी मांगों पर अड़ा रहा।
समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने संसद के शीतकालीन सत्र में अपनी बात में कहा कि सरकार अडानी, संभल और मणिपुर से जुड़े मुद्दों पर चर्चा से भाग रही है। जब सरकार नहीं चाहती कि संसद चले तो वह कैसे चल सकती है?
स्पीकर ओम बिरला ने आज कहा कि सहमति-असहमति लोकतंत्र की ताकत है और उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी सदस्य सदन को चलने देंगे।
साथ ही उन्होंने देश की जनता के हवाले से यही भी कहा कि जनता चाहती है कि संसद चले। इसके बावजूद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही 2 दिसंबर तक स्थगित कर दी गई।
संसद स्थगन पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई का कहना है कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि वह कौन सा मुद्दा उठाना चाहती है और कब। आगे उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार ने कहा था कि अडाणी, मणिपुर, संभल, चीन और विदेश नीति पर चर्चा होगी? गौरव गोगोई ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि हम सरकार में एक नया अहंकार देख रहे हैं।
संसद के दोनों सदनों के स्थगन पर कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने उम्मीद जाहिर की है कि सरकार बड़ा दिल दिखाएगी और विपक्ष को महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने का मौका देगी।
आगे उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसा तरीका खोजना चाहिए, जिससे विपक्ष अपनी बात कह सके और सरकार अपनी बात रख सके।