संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का कहना है कि पृथ्वी का मौसम चरम पर पहुँच गया है। जब तक हम वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित नहीं करते, बढ़ती आपदाएँ दुनिया की हर अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाती रहेंगी।
‘सतत विकास और ऊर्जा परिवर्तन’ (Sustainable Development and Energy Transition) पर जी20 की बैठक मंगलवार को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में आयोजित की गई। बैठक को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा वर्तमान नीतियों से तापमान तीन डिग्री से अधिक बढ़ जाएगा, जिसका अर्थ है तबाही।
जी20 शिखर सम्मेलन में सतत विकास और ऊर्जा संक्रमण पर एक सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विकसित देशों के लिए विकासशील देशों को समय पर प्रौद्योगिकी और वित्त प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करना आवश्यक है।
सत्र को संबोधित करते हुए ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो दा सिल्वा ने कहा कि जी20 देशों का वैश्विक उत्सर्जन में 80 प्रतिशत योगदान है। दुर्भाग्य से, जैसे-जैसे उत्सर्जन बढ़ता जा रहा है, जीवाश्म ईंधन युग का अंत अपरिहार्य है: महासचिव
आगे उन्होंने कहा कि हमें तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री तक सीमित करना होगा, इसके साथ ही उन्होंने देशों से उत्सर्जन में कटौती की दर बढ़ाने की बात भी कही ताकि इस दशक के अंत तक प्रत्येक वर्ष वैश्विक उत्सर्जन में नौ प्रतिशत की कमी की जा सके।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से इस समय उत्सर्जन बढ़ रहा है। इसलिए हमें जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर तेजी से बदलाव करना होगा। ये स्रोत अब ऊर्जा के सबसे सस्ते स्रोत हैं। जीवाश्म ईंधन युग का अंत अपरिहार्य है।
सत्र को संबोधित करते हुए ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो दा सिल्वा ने कहा कि जी20 देशों का वैश्विक उत्सर्जन में 80 प्रतिशत योगदान है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक देश की नई योजनाएं 1.5 डिग्री नीति के अनुरूप होनी चाहिए, जिसमें 2030 और 2035 तक उत्सर्जन को कम करने का स्पष्ट और पूर्ण लक्ष्य है। इसमें पूरी अर्थव्यवस्था, सभी क्षेत्र और सभी ग्रीनहाउस गैसें शामिल हैं। और इसमें वनों की कटाई को रोकते हुए 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने और ऊर्जा दक्षता को दोगुना करने के सीओपी 28 लक्ष्य शामिल हैं।