भारत ने संयुक्त राष्ट्र के बयान पर इसरायली कार्रवाई के ख़िलाफ़ अपनी सहमति जताई है। संयुक्त राष्ट्र का यह बयान इसरायल और लेबनान की सीमा पर बिगड़ती सुरक्षा स्थितियों पर चिंता ज़ाहिर करता है।
भारत का इस संबंध में मानना है कि शांति सैनिकों की सुरक्षा और बचाव सबसे महत्वपूर्ण है और इसे मौजूदा यूएनएससी प्रस्तावों के अनुसार सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर दिए अपने बयान में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा लिखा गया है- “एक प्रमुख सैनिक योगदान देने वाले देश के तौर पर भारत, 34 सैन्य योगदान देने वाले देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान से पूरी तरह से सहमत है।”
भारत ने इसराइल और लेबनान की सीमा पर ख़राब होती सुरक्षा स्थितियों पर चिंता व्यक्त करते हुए इसरायली कार्रवाई के ख़िलाफ़ संयुक्त राष्ट्र के बयान पर अपनी सहमति जताई है।
इस बीच लेबनान में यूनिफ़िल यानी संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल के एक और सैनिक के ज़ख़्मी होने का समाचार मिला है। यूनिफ़िल की ओर से कहा गया है कि दक्षिणी लेबनान में गोलीबारी की ज़द में आने से संयुक्त राष्ट्र का एक शांति सैनिक घायल हो गया है। इस मामले के बाद संयुक्त राष्ट्र के घायल शांति सैनिकों की संख्या पांच हो गई है।
गौरतलब है कि अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी इसरायल से लेबनान में हिज़्बुल्लाह के साथ लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति सैनिकों पर गोलीबारी बंद करने की बात कह चुके हैं।
इससे पहले सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसराइल के ख़िलाफ़ लाए गए प्रस्ताव पर हुई वोटिंग से भारत ने किनाराकशी कर ली थी।
इस प्रस्ताव में एक वर्ष के अंदर गाज़ा तथा वेस्ट बैंक में इसरायली कब्ज़े को समाप्त करने की बात कही गई थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा में 193 सदस्यों में से 124 सदस्य देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया था जबकि 14 देशों ने इसके मत दिया था और भारत सहित 43 देश इस मतदान से बाहर रहे थे।