किसान आंदोलन एक बार फिर से सक्रिय होता नज़र आ रहा है। बजट प्रस्तुत किए जाने के एक दिन पहले किसान आंदोलन की सरगर्मियां भी नज़र आ रही हैं।
किसान संगठनों की तरफ से 15 अगस्त के दिन ट्रैक्टर मार्च का ऐलान किया गया। दिल्ली में इसका ऐलान करते हुए किसान नेताओं द्वारा अगले कुछ दिनों का कार्यक्रम भी जारी किया गया है।
किसान नेताओं का कहना है कि 31 अगस्त को उनके आंदोलन के 200 दिन पूरे होंगे और इस मौके पर सभी किसान बॉर्डर पर इकट्ठा होंगे। शंभू बॉर्डर और दूसरे बॉर्डर जब खुलेंगे किसान दिल्ली की ओर कूच करेंगे।
सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से किसान संगठनों ने 15 अगस्त के दिन पूरे देश में ट्रैक्टर मार्च निकाले जाने का ऐलान किया गया। किसानों ने सभी फसलों पर एमएसपी की गारंटी के साथ अन्य मांगों को लेकर इस आंदोलन का पूरा कार्यक्रम जारी किया है।
दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में किसान संगठनों की ओर से यह कहा गया कि पहली अगस्त को केंद्र सरकार की अर्थी जलाकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। हर जिले के मुख्यालय पर किसान प्रदर्शन करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की की तरफ से पहली अगस्त से 22 सितंबर तक किसान संगठनों द्वारा इस पूरे कार्यक्रम की जानकारी दी गई।
- 15 अगस्त को पूरे भारत में ट्रैक्टर मार्च करेंगे।
- ट्रैक्टर मार्च के दौरान नए क्रिमिनल लॉ की कॉपी जलाई जाएगी।
- हरियाणा के बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में सभी राज्यों के किसानों से वहां पहुंचने की अपील।
- सितंबर में हरियाणा में दो बड़ी रैलियों का आयोजन। इनमे पहली 15 सितंबर को जींद में जबकि दूसरी रैली 22 सितंबर को हरियाणा के पीपली में होगी।
- उत्तर प्रदेश के संभल में भी पहली सितंबर को रैली।
इस बीच केंद्रीय बजट पेश किए जाने से एक दिन पहले कांग्रेस ने सत्तादल को घेरते हुए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की घोषणा करने की बात कही है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है। उन्होंने सरकार से किसान कर्ज माफी की आवश्यकता का आकलन करने के साथ कृषि कर्ज माफी के लिए एक स्थायी आयोग की मांग की है।