एयर कंडीशन की ही तरह रूम हीटर भी आज की ज़रूरतों में शामिल हो चुका है। आजकल छोटे कमरों और ऑफिस को गर्म करने के लिए इसका चलन भी बहुत ज़्यादा बढ़ चुका है।
ठंड के दिनों में अखबार अकसर रूम हीटर या अलाव से होने वाली ख़बरों की जानकारी देते हैं। ज़रूरत के अनुसार इसके विभिन्न प्रकार होते हैं जिनमे इलेक्ट्रिक हीटर, तेल हीटर, गैस हीटर या इन्फ्रारेड हीटर काफी आम हैं।
वैसे तो ठंड के मौसम में हीटर का इस्तेमाल बड़ा राहतभरा होता है मगर इसकी आदत कई नकारात्मक प्रभाव भी डालती है। जैसे-
सूखापन: रूम हीटर हवा में शुष्कता पैदा करते हैं जिसके कारण स्किन, आंखें और गला सूखने लगता है।
कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता: खराब गुणवत्ता वाले ईंधन के प्रयोग से चलने वाले हीटर कार्बन मोनोऑक्साइड गैस का बनाते हैं। गैस की यह मात्रा बंद कमरे में साँस लेने पर कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता का कारण बनती है। इसके लक्षणों में सिरदर्द, चक्कर आना और मतली शामिल है। समस्या गंभीर होने पर यह जीवन के लिए खतरा भी हो सकता है।
ओवरहीटिंग: यदि रूम हीटर का उपयोग या रखरखाव ठीक से नहीं किया जाता है, तो वे अतिरिक्त गर्मी उत्सर्जित कर सकते हैं, जिससे आग लगने का खतरा पैदा हो सकता है।
एलर्जी और अस्थमा: रूम हीटर धूल के कणों, पालतू जानवरों की रूसी और अन्य वायुजनित एलर्जी को सक्रिय कर सकते हैं। यह एलर्जी प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर कर सकता है और अस्थमा के लक्षणों को बदतर बना सकता है।
आंखों और त्वचा में जलन: रूम हीटर से लंबे समय तक शुष्कता और गर्म हवा के संपर्क में रहने से आंखों और त्वचा में जलन हो सकती है।
प्रदूषण: कुछ प्रकार के रूम हीटर जैसे केरोसिन या गैस हीटर हवा में सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषक छोड़ सकते हैं। इन गैसों के साँस लेने से श्वसन संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।