लोकप्रिय चित्रकार और मशहूर शायर इमरोज़ का 97 साल की उम्र में मुंबई स्थित उनके घर पर निधन हो गया। वह पिछले कुछ समय से लम्बी उम्र से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे थे।
इमरोज़ का असली नाम इंद्रजीत सिंह था। इनकी लोकप्रियता अमृता प्रीतम के करीब आने के बाद और भी बढ़ गई थी। तकरीबन 40 बरस तक एक-दूसरे के साथ रहने वाले इमरोज़ और अमृता ने शादी नहीं की।
‘रसीद टिकट’ में अमृता अपनी जिंदगी में आने वाले इमरोज़ का ज़िक्र करते हुए लिखती हैं कि- “अजनबी तुम मुझे जिंदगी की शाम में क्यों मिले, मिलना था तो दोपहर में मिलते।”
1960 में जब अमृता ने अपने पति को छोड़ दिया, तब उनकी जिंदगी में चित्रकार और शायर इमरोज़ आए। इमरोज़ अमृता और साहिर की दोस्ती दुनिया के लिए इस लिए यादगार बनी क्योंकि अमृता, साहिर की दीवानी थीं और इमरोज़ ने अमृता को चाहा।
अपनी बायोग्राफी में अमृता ज़िक्र करती हैं कि वह अपनी उंगलियों से इमरूज़ की पीठ पर साहिर का नाम लिखा करती थीं, ये बात खुद इमरोज़ को भी पता थी, मगर उन्हें अपने प्यार पर ज़्यादा यकीन था। अपने इस रिश्ते का खुलासा करते हुए अमृता का कहना था कि साहिर मेरी जिंदगी का आसमान है और इमरोज़ मेरे घर की छत हैं।
अमृता के इमरोज़ नहीं रहे😪 #imroz pic.twitter.com/KPcppf0T0j
— अपूर्व اپوروا Apurva Bhardwaj (@grafidon) December 22, 2023
इमरोज़ की अमृता से मुलाकात एक उस समय हुई थी जब अमृता अपनी किताब का कवर डिजाइन करने के लिए किसी कलाकार को तलाश कर रही थीं। अमृता प्रीतम ने पंजाबी और हिंदी में कविताएँ और उपन्यास लिखे। उन्होंने 100 से अधिक पुस्तकें लिखीं। उनके उपन्यास पिंजर पर फिल्म भी बनी।
अपनी आत्मकथा ‘रसीद टिकट’ में अमृता अपनी जिंदगी में आने वाले इमरोज़ का ज़िक्र करते हुए लिखती हैं कि- “अजनबी तुम मुझे जिंदगी की शाम में क्यों मिले, मिलना था तो दोपहर में मिलते।”