लंदन में किए गए एक नए अध्ययन से पता चला है कि परीक्षा की तैयारियों के कारण भी वातावरण में भारी मात्रा में ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन होता है।
यूके के क्वालिफिकेशन एंड एक्ज़ामिनेशन रेगुलेशन ऑफिस के एक अध्ययन में पाया गया कि अंग्रेजी भाषा जीसीएसई परीक्षा की तैयारी, प्रिंटिंग, इम्तिहान देने और मार्किंग से 5.6 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है।
एक परीक्षण सत्र में उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड की यह मात्रा वॉशिंग मशीन को 60 डिग्री सेल्सियस पर पांच बार चलाने या पेट्रोल पर 1.82 किलोमीटर तक कार चलाने के बराबर है।
50 प्रतिशत से अधिक उत्सर्जन परिवहन के कारण, 30 प्रतिशत हीटिंग और प्रकाश व्यवस्था के लिए जबकि शेष 20 प्रतिशत परीक्षा को स्कैन, चिह्नित, स्टाफ प्रशिक्षण और कागजात को स्थानांतरित तथा संग्रहीत करने से होता है।
कुल उत्सर्जन का एक बड़ा हिस्सा परीक्षा के लिए आने वाले छात्रों और वहां पर प्रशासन के कारण होता है, लेकिन जगह गर्म करने और प्रकाश व्यवस्था भी इसका एक महत्वपूर्ण कारक हैं।
रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि इस साल लगभग 780,000 छात्र अंग्रेजी भाषा जीसीएसई परीक्षा में बैठे। केवल इस परीक्षा के कारण 4,368 टन कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल का हिस्सा बनी।
अपनी तरह के पहले अध्ययन में, क्वालिफिकेशन ऑफिस ने एक परीक्षा के लिए उपयोग किए गए सभी संसाधनों की जांच की। निरीक्षण में परीक्षा प्रक्रिया के हर चरण यानी प्रश्न पत्र की तैयारी से लेकर अंतिम चरण तक की जांच की गई।
इस परीक्षण से जुड़े 50 प्रतिशत से अधिक उत्सर्जन परिवहन के रूप में आते हैं। 30 प्रतिशत ऊर्जा परीक्षा के दिन हीटिंग और प्रकाश व्यवस्था के लिए उपयोग की जाती है, जबकि शेष 20 प्रतिशत परीक्षा को स्कैन करने और चिह्नित करने, स्टाफ प्रशिक्षण और कागजात को स्थानांतरित करने और संग्रहीत करने के लिए उपयोग की जाती है।
परीक्षा पत्र में इस मुद्दे के लिए मौसम सबसे बड़ा योगदानकर्ता प्रतीत हो सकता है लेकिन वास्तव में परीक्षा केंद्र पर छात्रों और प्रशासकों का आगमन मुख्य कारण बनकर उभरा।