रविवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में लोगों का हुजूम था। इस रैली में भाग ले रहे लोगों ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की मांग की। रैली में देशभर से हजारों सरकारी कर्मचारी शरीक हुए।
‘पेंशन शंखनाद महारैली’ का मक़सद मौजूदा राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) की जगह पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को लेकर किया गया। केंद्र के समक्ष अपनी मांग उठाने के लिए नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम यानी एनएमओपीएस के तत्वावधान में कर्मचारियों ने एक रैली का आयोजन किया।
गौरतलब है कि कांग्रेस शासित राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश तथा हेमंत सोरेन के राज्य झारखंड के अलावा आम आदमी पार्टी द्वारा पंजाब में पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी गई है। इन सभी राज्यों में गैर भाजपा सरकार है। अब देशभर से सरकारी कर्मचारी बीजेपी शासित राज्यों में भी पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग के साथ एकजुट हो रहे हैं।
पुरानी पेंशन योजना पर केंद्र सरकार साफ कह चुकी है कि
इसे लागू किया जाना संभव नहीं है। गौरतलब है कि इस रैली का आयोजन तब किया जा रहा है जब केंद्र सरकार इस वर्ष मार्च में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को चुनने का एकमुश्त विकल्प पेश कर चुकी है।
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पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को लेकर सरकारी कर्मचारियों का दिल्ली में प्रदर्शन, INDIA महागठबंधन और BKU का मिला… pic.twitter.com/sicatqPRjh
— TRUE STORY (@TrueStoryUP) October 1, 2023
दिल्ली के रामलीला मैदान में देश के कोने कोने से हजारों सरकारी कर्मचारी इस रैली में शरीक हुए। आयोजकों का कहना है कि जब चार राज्य पहले ही पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की घोषणा कर चुके हैं तो केंद्र इसे क्यों बहाल नहीं कर सकता।
कार्मिक मंत्रालय के मुताबिक़ केंद्र सरकार की सेवाओं में शामिल होने वाले ऐसे कर्मचारी जिनकी नियुक्ति 22 दिसंबर 2003, जिस दिन एनपीएस अधिसूचित किया गया था, से पहले विज्ञापित या अधिसूचित पदों पर हुई है, वे केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 (वर्तमान में 2021) के तहत पुरानी पेंशन योजना के लिए पात्र हैं।
पुरानी पेंशन योजना कर्मचारियों को एक परिभाषित पेंशन मुहैया कराती है। एक कर्मचारी पेंशन के रूप में अंतिम आहरित वेतन की 50 प्रतिशत राशि का अधिकारी है। एनडीए सरकार ने पहली अप्रैल 2004 से इस व्यवस्था को बंद कर दिया था।
कर्मचारी एनपीएस व्यवस्था के तहत अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत पेंशन के लिए योगदान करते हैं जबकि सरकार की तरफ से इसमें 14 प्रतिशत का योगदान सम्मिलित होता है।