80 से अधिक पत्रकारिता और मानवाधिकार संगठनों ने यूरोपीय संसद से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए जासूसी में इस्तेमाल होने वाले स्पाइवेयर पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है।
यह मांग यूरोपियन फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स द्वारा संसद सदस्यों को लिखे गए एक खुले पत्र में की गई थी, जिस पर 500 से अधिक पत्रकारों ने हस्ताक्षर किए थे। इस संबंध में पत्रकार संगठनों के सदस्य भी सांसदों से मुलाकात कर रहे हैं।
लगभग 80 पत्रकार संगठनों और उनसे सहानुभूति रखने वाले अन्य मानवाधिकार संगठनों ने पत्र के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है।
यह पत्र अगले सप्ताह 3 अक्टूबर को यूरोपीय संसद सत्र में प्रस्तुत किए जाने वाले यूरोपीय मीडिया स्वतंत्रता अधिनियम (ईएमएफए) पर मतदान के संदर्भ में लिखा गया है, जिस पर संसद सदस्यों द्वारा मतदान किया जाएगा।
इस पत्र के माध्यम से सभी पत्रकार संगठनों ने, संसद सदस्यों से इस कानून में स्पाइवेयर को शामिल करके पत्रकारों की सार्थक सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया है।
गौरतलब है कि 3 अक्टूबर को यूरोपीय संसद का पूर्ण सत्र यूरोपीय मीडिया फ्रीडम एक्ट पर मतदान करेगा। ये पत्रकारों और मीडिया को सेवा मुहैया कराने वाले संगठनों को, हस्तक्षेप के साथ निगरानी और जासूसी करने वाली टेक्नोलॉजी से बचाने के लिए पहला औपचारिक कानूनी ढांचा होगा।
🇪🇺IPI joins 79 other organisations calling on @Europarl_EN to fully ban the use of spyware against journalists, as part of upcoming debates on the #EMFA.
The EU Parliament is planning a first vote on the regulations on October 3.
Full letter👇https://t.co/uXgeDDb1dK
— IPI – The Global Network for Independent Media (@globalfreemedia) September 27, 2023
वहीं, पत्रकारिता और डिजिटल अधिकार संगठन भी मांग कर रहे हैं कि संसद इस बात की व्यापक परिभाषा सुनिश्चित करे कि इस स्पाइवेयर का उपयोग कहां किया जाता है और कहां नहीं।
पत्र में कहा गया है कि ‘स्पाइवेयर एक शक्तिशाली हथियार है जो पत्रकारिता के काम, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक मूल्यों और अंततः पत्रकारों के जीवन को खतरे में डालता है।’
पत्र में संसद सदस्यों से पत्रकारों और उन्हें समाचार प्रदान करने वाले स्रोतों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून के पक्ष में मतदान करने के लिए कहा गया है।
बता दें कि संसद की सिविल लिबर्टीज कमेटी पहले ही इस कानून के पक्ष में वोट कर चुकी है, लेकिन पत्रकार संगठन अब भी प्रस्तावित कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं। इस संबंध में पत्रकार संगठनों के सदस्य भी सांसदों से मुलाकात कर रहे हैं।