प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से मिस्र की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर रहेंगे। यह यात्रा मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी के निमंत्रण पर है। किसी भारतीय प्रधानमंत्री की वर्ष 1997 के बाद पहली मिस्र यात्रा होगी। इसके अलावा पीएम मोदी की भी यह पहली मिस्र यात्रा है।
अपनी इस यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी मिस्र में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए काहिरा में हेलियोपोलिस युद्ध कब्रिस्तान जायेंगे।
काहिरा में हेलियोपोलिस कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कब्रिस्तान वह जगह है जहां प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मारे गए भारतीय सेना के लगभग 4,000 सैनिकों की शहादत की याद दिलाता। प्रधानमंत्री इन शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
वाशिंगटन डीसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की अपनी पहली राजकीय यात्रा के समापन के बाद मिस्र के काहिरा के लिए रवाना हुए। pic.twitter.com/WQFda7ZQk1
— NBT Hindi News (@NavbharatTimes) June 24, 2023
अपनी मिस्र यात्रा में प्रधानमंत्री मिस्र के साथ व्यापार, निवेश, ऊर्जा और सुरक्षा के क्षेत्रों में रिश्तों की मज़बूती के साथ भारत और मिस्र के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की कोशिश करेंगे।
इस बीच पीएम मोदी के मिस्र के व्यापारिक नेताओं से भी मुलाकात करेंगे जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करने की उम्मीद है।
दिल्ली
➡️प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मिस्र दौरा
➡️प्रधानमंत्री मोदी मिस्र की दो दिवसीय यात्रा पर
➡️काहिरा में अल-हकीम मस्जिद का दौरा करेंगे पीएम
➡️11वीं सदी की अल-हकीम मस्जिद का करेंगे दौरा
➡️मिस्र की राजधानी काहिरा में है अल-हकीम मस्जिद
➡️मिस्र में राष्ट्रपति अल सीसी से… pic.twitter.com/4fohM2HOFY
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पीएम नरेंद्र मोदी अपनी इस यात्रा में 11वीं सदी की प्रसिद्ध अल-हाकिम मस्जिद का दौरा करेंगे। इस बात की पुष्टि विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने की है। बता दें कि अल-हाकिम मस्जिद का पुर्निमाण 1980 में बोहरा मुस्लिम समुदाय ने कराया था।
अल-हाकिम मस्जिद मिस्र की राजधानी ओल्ड काइरो में स्थित है। इसकी नींव 990 में फातिमी ख़लीफ़ा अल-अज़ीज़ बी-इलाह निज़ार ने रखी और साल 1013 में उनके बेटे अल-हकीम के शासनकाल के दौरान पूरा किया गया था। इसे मिस्र में सबसे पुराने इस्लामी स्मारकों में से एक माना जाता है।
अल-हाकिम मिस्र की मीनारों को वॉच-टावर के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इसके क़िबला आर्केड का उपयोग इस्लामिक कला के संग्रहालय के रूप में किया जाता था, जिसे हाउस ऑफ़ द अरब एंटीक्विटीज़ कहा जाता था।