नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने अपनी नागालैंड राज्य समिति को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है। ऐसा नागालैंड के प्रदेश अध्यक्ष ने केंद्रीय नेतृत्व से बिना सलाह लिए नागालैंड के मुख्यमंत्री को समर्थन दिए जाने के कारण हुआ है।
जनता दल यूनाइटेड का कहना है कि नागालैंड के प्रदेश अध्यक्ष ने केंद्रीय नेतृत्व से बिना सलाह लिए नागालैंड के मुख्यमंत्री को समर्थन पत्र दिया है। जेडीयू ने इसे मनमानी और अनुशासनहीनता मानते हुए ये क़दम उठाया है।
जद (यू) के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तरपूर्वी क्षेत्रों के लिए पार्टी के प्रभारी अफाक अहमद खान (Afaque Ahmad Khan) ने एक लिखित बयान में कहा, “केंद्रीय नेतृत्व को पता चला है कि हमारी पार्टी के नागालैंड राज्य अध्यक्ष ने केंद्रीय पार्टी से परामर्श किए बिना नागालैंड के मुख्यमंत्री को समर्थन पत्र दिया है। यह उच्च अनुशासनहीनता और मनमानी का मामला है। इसलिए पार्टी ने नागालैंड राज्य समिति को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है।”
जेडीयू ने नागालैंड विधानसभा चुनाव में कुल 8 उम्मीदवार खड़े किये थे। पार्टी के उम्मीदवार ज्वेंगा सेब ने त्सेमिन्यु सीट से अपने प्रतिद्वंद्वी आरपीआई उम्मीदवार लोगुसेंग सेम्प को 2,563 वोटों से हराकर जीत हासिल की थी।
इस चुनावों में एनडीपीपी-बीजेपी गठबंधन ने 60 में से 37 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके अलावा एनसीपी ने 7, एनपीपी ने 5, एनपीएफ ने 2, आरपीआई-ए ने 2, एलजेपी ने 2, जेडी-यू ने 1 और चार निर्दलीयों ने जीत दर्ज की। गठबंधन के लिए इन सभी ने सहयोग का एलान किया। ऐसे में विपक्ष में कोई भी उम्मीदवार नहीं बचा।
इससे पूर्व जद (यू) नागालैंड के राज्य अध्यक्ष सेन्चुमो लोथा और एकलौते विजयी विधायक ज्वेंगा सेब ने कोहिमा में मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो से मुलाकात करके उन्हें समर्थन पत्र सौंपा था। दोनों नेताओं ने पुष्टि की थी कि वे कोहिमा में उनके आवास पर सीएम से मिले और उन्हें पार्टी के समर्थन का पत्र दिया है।