लखनऊ। शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर कांग्रेस ने ब्राह्मण कार्ड तो खेल ही दिया, अब वो एक क़दम और आगे जा रही है। प्रशांत किशोर की सलाह के मुताबिक, 100 सीटें ब्राह्मणों को, 70 सीटें राजपूतों को और 30-32 बाकी अगड़ी जातियों को दी जा सकती हैं।
प्रशान्त किशोर की सलाह को कांग्रेस आलाकमान ने भी सैद्धांतिक सहमति दे दी है। यानी 403 की विधानसभा सीटों में से 200 से ज़्यादा सवर्णों को दी जाएंगीं। जिसका पार्टी पहले से ही प्रचार प्रसार करना शुरू कर देगी। इस पर आजतक से बातचीत में कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने कहा कि, कांग्रेस सबको साथ लेकर चलने वाली पार्टी है, लेकिन ब्राह्मण नेता शीला दीक्षित को अगर सीएम उम्मीदवार बनाया है तो क्या हर्ज है और अगर योग्य ब्राह्मण उम्मीदवारों को ज़्यादा टिकट मिलते हैं तो किसी को क्या दिक्कत।
रणनीति को ज़मीन पर उतारने का खाका तैयार
रणनीति के मुताबिक, गैर पार्टी मंचों से तमाम ब्राह्मण और राजपूत सम्मलेन कराये जायेंगे। वहां कांग्रेस के नेता बतौर ब्राह्मण हिस्सा लेंगे। खासतौर पर ब्राह्मणों से कहा जायेगा कि- अबकी बार आखिरी बार, यानी 1989 में आखिरी बार कांग्रेस की ही सरकार में एनडी तिवारी यूपी के आखिरी ब्राह्मण सीएम थे। उसके बाद बीजेपी, सपा, बसपा की सरकारें बनीं, लेकिन किसी ने ब्राह्मण को सीएम नहीं बनाया, अब कांग्रेस ने हिम्मत की है, अबकी बार भी नहीं बना तो ये राज्य में किसी ब्राह्मण के सीएम बनने का मौका फिर शायद न आये।
मायावती के चरणों में और मुलायम के पिछलग्गू क्यों बनना चाहते हैं। बीजेपी ने यूपी में मौका मिलने पर भी ब्राह्मण सीएम नहीं दिया, उलटे इस बार तो ब्राह्मण लक्ष्मीकांत वाजपेयी को अध्यक्ष पद से हटा दिया, इसलिए सम्मान के लिए कांग्रेस के साथ आइये, हमने सीएम उम्मीदवार दिया और 100 से ज़्यादा सीटें भी देंगे।
वहीं राजपूत सम्मेलनों में कहा जायेगा कि- बीजेपी में तमाम राजपूत सांसद जीते, लेकिन राजनाथ सिंह तक के हाथ बंधे हुए हैं, उनके पर कतर दिए गए हैं।
बसपा के विजय बहादुर सिंह जैसे नेताओं को बेइज़्ज़त कर निकाला गया। सपा में अमर सिंह को निकाला गया, वो आये तो वो रुतबा नहीं मिला। इसलिए सम्मान के साथ कांग्रेस में आइये, 70 से ज़्यादा सीटें भी दी जाएंगी।
रसूखदार राजपूत-ब्राह्मण परिवारों से संपर्क
जितिन प्रसाद और संजय सिंह को ज़िम्मेदारी दी गयी है कि, वो यूपी में सम्मानित और असरदार ब्राह्मण परिवारों से संपर्क करें, फिर चाहे वो राजनीती में हों या न हों। उनको ये एहसास दिलाने की कोशिश होगी कि, कांग्रेस हमेशा उनके हितों का ख्याल रखेगी।