नई दिल्ली। राज्यसभा ने मातृत्व अवकाश संशोधन बिल को लंबी चर्चा के बाद मंजूरी दे दी है। यह कामकाजी महिलाओं की बराबरी की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके तहत निजी कंपनियों में भी गर्भावस्था में महिलाओं को 26 हफ्ते की छुट्टी मिलेगी। कंपनियों और संस्थाओं में बच्चों के लिए क्रेच बनाना भी अनिवार्य हो जाएगा। इस कानून के अभाव में अब तक महिलाएं निजी कंपनियों की मनमानी झेलने को मजबूर थीं।
यह बिल पिछले कई साल से स्टेकहोल्डरों के साथ सलाह-मशविरा के बाद लाया गया है। इस दौरान वर्कप्लेस पर कामकाजी महिलाओं के खिलाफ हो रहे भेदभाव को खत्म करने के तरीकों पर गहन चर्चा की गई। गुरुवार को राज्यसभा ने मातृत्व अवकाश संशोधन बिल पास कर दिया है। अब इसे लोक सभा में पेश किया जाएगा।
बच्चे गोद लेने वाली मांओं को 12 हफ्ते की छुट्टी
नए प्रस्तावित कानून में निजी कंपनियों के लिए अब मातृत्व अवकाश 12 हफ्ते की जगह 26 हफ्ते देना जरूरी होगा। 10 से ज्यादा कर्मचारियों वाली सभी कंपनियों और संस्थाओं पर यह प्रस्तावित कानून लागू होगा। जहां-जहां 50 से ज्यादा कर्मचारी हैं, वहां कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिए क्रेच की व्यवस्था मुहैया कराना जरूरी होगा। साथ ही गोद लेने वाली मांओं को भी 12 हफ्ते की छुट्टी मिलेगी।
महिला और बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने बिल पारित होने के बाद कहा, “यूनिसेफ के मुताबिक जन्म होने के सात महीने तक मां का बच्चे की देखभाल करना बेहद जरूरी होता है। इस कानून के दूरगामी परिणाम होंगे। बच्चे के लिए भी और मां के लिए भी।”
कानून का उल्लंघन करने वालों के सजा
सवाल है कि इस कानून पर अमल न करने वालों पर क्या कार्रवाई होगी? एनडीटीवी से बात करते हुए श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा “जो लोग नए नियमों का उल्लंघन करेंगे उन्हें तीन महीने से लेकर एक साल तक की सजा का प्रावधान बिल में शामिल किया गया है। उन पर फाइन भी लगाने का प्रावधान शामिल किया गया है।”
सात रीजनल कॉन्फ्रेंस आयोजित करेगा श्रम मंत्रालय
अब श्रम मंत्रालय देश भर में सात रीजनल कांफ्रेंस आयोजित करने की तैयारी कर रहा है जिनमें सभी राज्यों के श्रम मंत्रियों और श्रम सचिवों को बुलाकर उनसे इस प्रस्तावित कानून को सही तरीके से लागू करने को कहा जाएगा। यानी अब अगली चुनौती प्रस्तावित कानून को जमीन पर कारगर तरीके से लागू करने की होगी।