सोमवार तड़के 4 बजे केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार का 59 साल की उम्र में निधन हो गया। वे कैंसर से पीड़ित थे। अनंत कुमार का लंबे समय से इलाज चल रहा था। अनंत कुमार के निधन को बीजेपी के लिए एक बड़ा नुकसान माना जा रहा है। वे दक्षिण भारत में बीजेपी का बड़ा चेहरा थे। मौजूदा मोदी सरकार में अनंत कुमार के पास रसायन एवं पेट्रो-रसायन विभाग और संसदीय कार्य मंत्रालय थे।
बेंगलुरु में जन्मे अनंत कुमार ने केएस आर्ट कॉलेज हुबली से बीए किया और इसके बाद उन्होंने जेएसएस लॉ कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रभावित होने के कारण वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्टूडेंट विंग के सदस्य भी थे। आपातकाल का विरोध करने के कारण उन्हें इंदिरा गांधी सरकार ने हजारों अन्य छात्र कार्यकर्ताओं के साथ जेल में बंद कर दिया था।
इमरजेंसी के बाद कर्नाटक में उनका कद तेजी से बढ़ा। अनंत कुमार को एबीवीपी के राज्य सचिव के रूप में निर्वाचित किया गया और 1985 में उन्हें राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया। इसके बाद वे बीजेपी में शामिल हो गए और उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया। 1996 में उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय सचिव का पद दिया गया।
अनंत कुमार वर्ष 1996 से लोकसभा में दक्षिणी बेंगलुरु का प्रतिनिधित्व करते आ रहे थे। वे लगातार 6 बार सांसद रहे।
1998 में हुए लोकसभा चुनाव में अनंत कुमार ने फिर से जीत दर्ज की। केंद्र की अटल सरकार में उन्हें उड्डयन मंत्री के रूप में शामिल किया गया। अनंत कुमार अटल सरकार में सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री थे। 1999 में अनंत कुमार ने लगातार तीसरे चुनाव में फिर से जीत दर्ज की। इस जीत से केंद्र में उनका कद और तेजी से बढ़ा और उन्हें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। अनंत कुमार ने पर्यटन, खेल और युवा मामलों, संस्कृति, शहरी विकास और गरीबी उन्मूलन जैसे विभिन्न मंत्रालयों को संभाला।
अनंत कुमार साल 2003 में बीजेपी की कर्नाटक राज्य इकाई के अध्यक्ष बने। बीजेपी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और साल 2004 में केंद्र से बेदखल होने के बाद भी कर्नाटक में बीजेपी ने सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें जीतीं।