अहमदाबाद। गुजरात में बीजेपी के लिए आनंदीबेन पटेल के बाद मुख्यमंत्री की तलाश की बहुत आसान नहीं है। आनंदीबेन के बाद गुजरात बीजेपी के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। बीजेपी प्रेजिडेंट अमित शाह अहमदाबाद पहुंच गए हैं। थलतेज इलाके में अमित शाह का बंगलो अब नया पावर सेंटर बन गया है। नए मुख्यमंत्री को लेकर सारी राजनीतिक गतिविधियां शाह के बंगलो में ही देखी जा रही हैं।
शाह से गुजरात प्रभारी दिनेश शर्मा और जॉइंट जनरल सेक्रटरी (ऑर्गेनाइजेशन) वी सतीश ने अलग-अलग मुलाकात की। करीब 15 सीनियर मंत्रियों और स्टेट बीजेपी नेता नितिन पटेल, भूपेंद्र सिंह चुडासामा, पुरुषोत्तम रुपाला, सौरभ पटेल और रमनलाल वोरा ने भी शाह से मुलाकात की।
इस मीटिंग में सभी को अपनी बात कहने का मौका दिया गया। एक सीनियर मंत्री ने कहा, ‘पटेल नेता और आनंदीबेन के समर्थकों का दावा है कि नितिन पटेल का नाम फाइनल है। अभी गुजरात की जो स्थिति है उसमें यही उम्मीद की जा सकती है कि बीजेपी पटेल पावर को ही स्वीकार करेगी।’
एक सीनियर नेता और सांसद ने कहा, ‘हमारी पार्टी में सीएम के चयन को लेकर स्थिति गंभीर है। ऐसे में हमलोग किसी नए चेहरे पर दांव लगाने का रिस्क नहीं ले सकते।’ उन्होंने कहा कि हार्दिक पटेल के आंदोलन के कारण हमारे पर चॉइस बहुत कम रह गए हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारी समझ के मुताबिक देर रात तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमित भाई हमारी राय बता देंगे। चार बजे शाम तक हमें प्रधानमंत्री का चॉइस पता चल जाएगा।’ उन्होंने यह भी बताया कि एक मंत्री नितिन पटेल के खिलाफ है।
सीएम के सिलेक्शन को लेकर गुजरात बीजेपी में काफी उठापटक है। एक सांसद ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। डिवेलपमेंट कार्ड अब काम नहीं कर रहा। पार्टी के पास गुजरात में अब मोदी का जादू नहीं है।’ बीजेपी के एक और नेता ने कहा कि केवल पटेल वोट ही काफी नहीं है। हमें जनता के पास जाना होगा।
जब 2001 में नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम बने थे तब जाति कोई मसला नहीं था। मोदी की छवि एक जातीय नेता के रूप में नहीं थी। उन्होंने हिन्दुत्व और विकास को अपना अजेंडा बनाया। गुजरात के लोगों ने इसे पसंद भी किया। 2001 से 2014 के बीच मोदी मोदी की ओबीसी पहचान बिल्कुल नेपथ्य में थी। पार्टी ने कभी नहीं कहा कि मोदी घांची कम्युनिटी के हैं। लेकिन आज की तारीख में शाह के बंगलो सीएम चयन को लेकर जातीय समीकरण पर भी सोचना पड़ रहा है।
पिछले दो दिनों से पटेल लॉबी बीजेपी में पटेल सीएम बनाने को लेकर पूरी तरह से ऐक्टिव रही। पटेल लॉबी ने यह समझाने की कोशिश की कि पटेल को इन्गोर कर बीजेपी गुजरात में नहीं टिक सकती। पटेल नेताओं ने शाह से मुलाकात कर बताया है कि नॉन-पटेल नेता सीएम के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। हालांकि नॉन-पटेल नेताओं का कहना है कि कैसे पटेल आंदोलन के कारण सोसायटी बुरी तरह से जाति के नाम पर बंट गई है। नॉर्थ गुजरात और सौराष्ट्र में इसी बुनियाद पर दरार चौड़ी हो गई है।
सबसे अहम यह है कि शाह उस चेहरा को गुजरात की कमान सौंपना चाहते हैं जिसकी छवि साफ हो। आनंदीबेन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। दूसरी बात यह कि शाह पटेल फैक्टर की उपेक्षा नहीं कर सकते। 120 विधायकों में 34 विधायक पटेल हैं। इनका मानना है कि प्रदेश का सीएम कोई पटेल चेहरा ही बने। पटेल लॉबी को बिल्डर, ऑइल और किसान लॉबी से भी समर्थन हासिल है। 182 सीटों वाली असेंबली में 44 विधायक पटेल हैं।
यदि नितिन पटेल को सीएम की कुर्सी सौंपी जाती है तो पटेल और नॉन-पटेल के बीच दीवार खींच सकती है। कहा जा रहा है कि जिन्होंने आनंदीबेन को देखा है उन्हें नितिन पटेल को लेकर बहुत उत्साह नहीं होगा। नितिन पटेल का सिलेक्शन तीन वजहों से हो सकता है। पहला यह कि वह नॉर्थ गुजरात के पटेल नेता हैं। दूसरा पटेल लॉबी के बीच वह स्वीकार्य नेता हैं। तीसरा यह कि उनके पास कई मंत्रालयों का अनुभव है।