नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया, कि वह विशेष सीबीआई न्यायाधीश बीएच.लोया की मौत से जुड़े दस्तावेजों को स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे याचिकाकर्ताओं को साझा करे। इसके साथ ही अदालत ने मामले को सात दिनों के लिए स्थगित कर दिया।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा व न्यायमूर्ति मोहन एम.शांतनगुदार की पीठ ने वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे से दस्तावेजों को याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करने को कहा, ‘इस मामले में उन्हें सब कुछ मिलना चाहिए। कोई गोपनीयता नहीं होनी चाहिए।’ बता दें, कि सामाजिक कार्यकर्ता टी.पूनावाला व मुंबई के पत्रकार बंधुराज संभाजी लोन ने न्यायाधीश लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
वकील हरीश साल्वे ने महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश होते हुए अदालत से मुहरबंद लिफाफे में मौजूद दस्तावेजों पर नजर डालने को कहा तो न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘याचिकाकर्ताओं के साथ इसकी प्रतियां साझा करें। हम मामले को सात दिनों के लिए स्थगित करते हैं।’
साल्वे ने कहा, कि ‘महाराष्ट्र सरकार द्वारा भेजे गए दस्तावेजों को उन्होंने खुद नहीं देखा है।’ इस पर अदालत ने कहा, कि वह दस्तावेजों को देखें और यदि वह उनमें कुछ संवेदनशील पाते हैं तो उसे अपने पास रख सकते हैं।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘यदि उसमें कुछ नहीं है, तो कोई गोपनीयता नहीं होनी चाहिए। सामान्य तौर पर दस्तावेजों को साझा करने पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।’ साल्वे ने कहा, कि ‘उनके पास एक अतिरिक्त प्रति है, जिसे वह याचिकाकर्ता के वकील पल्लव सिसोदिया को साझा कर सकते हैं, लेकिन उन्हें इसे अपने तक रखना होगा।’
न्यायाधीश लोया की मौत को लेकर विवाद पैदा हो गया है, क्योंकि लोया शोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे। इसी मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आरोपी थे। शाह को बाद में आरोपमुक्त कर दिया गया था।