नई दिल्ली. केजरी सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के अधिकारों को बढ़ाने की अपील. दिल्ली सरकार के अधिकारों से जुड़ी पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच में गुरुवार को सुनवाई शुरू हुई। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें दिल्ली को एक केंद्र शासित प्रदेश (यूनियन टेरिटरी) और उपराज्यपाल (LG) को उसका एडमिनिस्ट्रेटिव हेड बताया गया था। केजरी सरकार के वकील ने दिल्ली के अधिकारों को बढ़ाने की अपील की है। पिछले साल दिसंबर में SC ने कहा था कि चुनी हुई सरकार के पास कुछ शक्तियां होनी चाहिए, नहीं तो वह काम नहीं कर पाएगी।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए सीनियर वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने 5 जजों की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच के सामने दलीलें पेश कीं। इसमें में शामिल सीजेआई जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।
सुब्रमण्यम ने बेंच के सामने कहा, ”सरकार के अधिकार सीमित हैं और इन्हें बढ़ाया जाना चाहिए। दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है, जिसे ज्यादा स्वायत्ता (ऑटोनॉमी) मिली है। दिल्ली को आर्टिकल 239 AA के तहत विशेष दर्जा मिला हुआ है।”
इसके पहले केंद्र और एलजी की ओर से हाईकोर्ट में दलील दी गई थी कि दिल्ली राज्य नहीं है, इसलिए एलजी को यहां विशेष अधिकार मिले हैं। 4 अगस्त, 2015 हाईकोर्ट ने कहा था कि एलजी ही दिल्ली के एडमिनिस्ट्रेटिव हेड हैं और कोई भी फैसला एलजी की मंजूरी के बिना नहीं लिया जाए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी, 2017 को इस मामले को सुनवाई के लिए कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच के पास भेज दिया था। 2 फरवरी को केजरी सरकार ने कहा था कि दिल्ली विधानसभा के अंदर सरकार को खास अधिकार मिले हैं, जिन्हें केंद्र सरकार, राष्ट्रपति या एलजी नहीं छीन सकते हैं। 14 दिसंबर, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ”चुनी हुई सरकार के पास कुछ शक्तियां होनी चाहिए नहीं तो वह काम नहीं कर पाएगी।” हालांकि, इसके पहले 9 सितंबर, 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के ऑर्डर पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था।