कानपुर में भड़के 1984 के सिख विरोधी दंगों पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने केन्द्र से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने इस दंगे की सीबीआई या एसआईटी जांच कराने के लिए अनुरोध किया था।
इस दंगे में 127 लोगों की हत्या हुई थी। गुरुद्वारा भाई बन्नो साहिब ने नगर में दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने की पहल की तो इसकी जिम्मेदारी अखिल भारतीय दंगा राहत कमेटी और दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने ले ली।
कमेटी की ओर रिट की गई जिसमें कोर्ट से यह आग्रह किया गया था कि 33 वर्ष पहले कानपुर में हुए दंगों में जिनकी मौतें हुई थीं उनमें किसी को भी न्याय नहीं मिल सका। जो भी प्राथमिकी दर्ज कराई गईं उसमें पुलिस ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। सभी में अन्तिम रिपोर्ट लगा दी। न तो किसी की गिरफ्तारी हुई और न ही किसी के खिलाफ मुकदमा चल सका।
गुरुद्वारा भाई बन्नो साहिब के प्रधान और दंगा राहत कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष सरदार मोहकम सिंह ने बताया कि अब तक जो भी लड़ाई थीं वह मुआवजा के लिए लड़ी गईं। यह लड़ाई उन लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ी जा रही है जो दंगे में मौत का शिकार हुए। आरटीआई ने इसमें काफी मदद की। इसके माध्यम से थानावार जानकारी मांगी गई थी जिसमें पुलिस कार्रवाई की पोल खुली।
अखिल भारतीय दंगा राहत कमेटी की रिट पर बुधवार को तीन जजों की पीठ ने सुनवाई की। कमेटी की ओर से अधिवक्ता प्रसून कुमार ने दिल्ली से फोन पर ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानवेलकर और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय के समक्ष यह आग्रह किया गया कि 84 के बाद से अब तक जिन लोगों की दंगे में हत्या हुईं या संपत्ति का नुकसान हुआ उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यह भी आग्रह किया गया कि इसकी सीबीआई या एसआईटी जांच कराई जाए।