पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा सार्वजनिक तौर पर आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को अपना बड़ा भाई कहते हैं। उनके गठबंधन में भी लालू की पार्टी ने 2015 के चुनावों में नीतीश की पार्टी से बेहतर प्रदर्शन किया था। Lalu
लेकिन जब लालू पटना में 12 फरवरी को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में पहुंचे तो उन्हें आयोजकों ने वह सीट खाली करने को कहा जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए रिजर्व थी।
लालू पहले नीतीश की सीट पर बैठ गए थे। इसके बाद बिना किसी कहासुनी के अपनी सीट पर बैठ गए।
जब मुख्यमंत्री पहुंचे तो उन्हें सीट तक लाया गया और वह लालू के बराबर में बैठे।
कुछ हफ्तों पहले लालू यादव की पार्टी ने सवाल उठाए थे, क्योंकि उन्हें पटना में हुए गुरु गोबिंद सिंह के 350वें प्रकाशवर्ष समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बराबर में नहीं बिठाया गया था।
हालांकि दोनों ने ही उन रिपोर्ट्स को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा जा रहा था कि पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले पर नीतीश द्वारा दिए गए समर्थन से दोनों के बीच तनाव बढ़ा है।
आपको बता दें कि 10 फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिए गए नोटबंदी के फैसले को ‘ऐतिहासिक कुप्रबंधन’ करार दिया था।
शुक्रवार को पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम की किताब लॉन्च करते हुए उन्होंने कहा, ”नोटबंदी की घोषणा के तीन महीने बाद, काले धन से कैशलेस की तरफ ध्यान डायवर्ट किया जा रहा है। मैं डॉ. मनमोहन सिंह से सहमत हूं। नोटबंदी वाकई में ऐतिहासिक कुप्रबंधन था।
कुमार ने इस बात भी हैरानी जताई कि मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद कितना काला धन बाहर आया या बाजार से कितने जाली नोट पकड़े गए। उन्होंने बीजेपी के साथ जाने की अटकलों को हास्यास्पद करार दे दिया। जब प्रधानमंत्री पटना आए थे तो उन्होंने बिहार में नीतीश कुमार द्वारा लिए गए शराबबंदी के फैसले की तारीफ की थी।