यूपी में चुनाव सिर पर है लेकिन सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के यादव-पिता पुत्र में अब तक सुलह नहीं हो सकी है. इससे पहले दोनों ही गुट चुनाव आयोग में जाकर समाजवादी पार्टी और उसके चुनाव चिन्ह साइकिल पर अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं. लेकिन इस बीच पार्टी के पुराने वफादार नेताओं ने एक बार फिर आजम खान से गुजारिश की है कि वो दोनों के बीच सुलह-सफाई करवा देंयूपी में चुनाव सिर पर है लेकिन सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के यादव-पिता पुत्र में अब तक सुलह नहीं हो सकी है. इससे पहले दोनों ही गुट चुनाव आयोग में जाकर समाजवादी पार्टी और उसके चुनाव चिन्ह साइकिल पर अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं. लेकिन इस बीच पार्टी के पुराने वफादार नेताओं ने एक बार फिर आजम खान से गुजारिश की है कि वो दोनों के बीच सुलह-सफाई करवा दें. इसके पहले भी आजम खान ने ही मुलायम और अखिलेश के बीच सुलह करवाई थी, हालांकि वो एक दिन भी नहीं चल पाई.
समाजवादी पार्टी के सियासी दंगल के बीच पिता-पुत्र में सुलह कराने के लिए आजम खान एक बार फिर तैयार हो गए हैं. लेकिन उनकी शर्त है कि ये आखिरी कोशिश होगी. आजम ने कहा है कि वह इस सबसे ज्यादा मायूस हैं लेकिन नाउम्मीद नहीं. ऐसे में आज़म एक फॉर्मले के साथ मुलायम सिंह यादव से मिलने दिल्ली आए थे. आजम खान ने पहले फ़ोन पर मुलायम और अखिलेश की बात कराने की कोशिश की, तब जाकर दोनों मिलकर आमने-सामने बैठकर मिलने को तैयार हो गए. मुलायम सिंह दिल्ली से लखनऊ पहुंचे और अखिलेश ने लखनऊ में अपने पिता के घर जाकर उनसे अकेले में बात भी की है.
सुलह का ‘आजम’ फॉर्मूला
1.मुलायम सिंह यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहें,अखिलेश अपना दावा वापस ले लें.
2.अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष की कमान वापस दे दी जाए और टिकट बंटवारे में उनकी अहम भूमिका रहे.
3.शिवपाल यादव को दिल्ली में राष्ट्रीय महासचिव बनाकर राष्ट्रीय राजनीति में भेज दिया जाये.
4.मुलायम के अमर और अखिलेश के रामगोपाल को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए.
दरअसल कई मौकों पर लगा कि पिता-पुत्र की जोड़ी भले ही मानने को तैयार हो जाती हो, लेकिन जानकारों के मुताबिक जिन शक्तियों से पिता और पुत्र अलग-अलग घिरे हैं, कहीं ना कहीं वो सुलह में रोड़ा बन कर सामने आ जाती है. मुलायम की कमजोरी अमर और शिवपाल हैं, तो वहीं अखिलेश का हाथ रामगोपाल के साथ है. लखनऊ में पिता-पुत्र की मुलाकात के बाद दिल्ली में रामगोपाल यादव के घर अखिलेश गुट की बैठक हुई और रामगोपाल यादव ने सुलह की सारी संभावनाओं को खारिज भी कर दिया. हालांकि पार्टी के सांसद जावेद अली का कहना है कि पार्टी में कोई झगड़ा नहीं है और नेताजी ही उनके आदर्श हैं.
ऐसे में सुलह कैसे होगी ये तो शायद खुद यादव परिवार को भी नहीं जानता होगा. क्योंकि, अब तक वो सुबह मिलते हैं, शाम को लड़ते हैं,अगले दिन सुबह फिर मिल जाते हैं और रात होते-होते लड़ाई सामने आ जाती है. परिवार का झगड़ा बदस्तूर जारी है. आजम अपनी आखिरी कोशिश में जुटे हैं. फॉर्मूला भी लेकर आए हैं, पर फैसला तो अखिलेश और मुलायम को ही करना है वर्ना पिता-पुत्र की ये टूट हिंदुस्तान की राजनीति के इतिहास में दर्ज होकर हमेशा याद रखी जायेगी.