नयी दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-18 के आज सफल प्रक्षेपण की प्रशंसा करते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) तथा उसके वैज्ञानिकों को बधाई दी। मुखर्जी ने अपने संदेश में कहा, “संचार उपग्रह जीसैट-18 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो को हार्दिक बधाई।” मोदी ने ट्वीट कर कहा, “संचार उपग्रह जीसैट-18 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो को बधाई। हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का यह एक और मील का पत्थर है।” भारत के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-18 का यूरोपीय एरियन-5 वीए-231 रॉकेट के जरिये आज फ्रेंच गुयाना के कोरु से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। GSAT-18
फ्रेंच गुयाना से हुआ प्रक्षेपण
भारत के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-18 का यूरोपीय एरियन-5 वीए-231 रॉकेट के जरिये फ्रेंच गुयाना के कोरु से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा निर्मित जीसैट-18 का भारतीय समयानुसार, आज तड़के दो बजे प्रक्षेपण किया गया।
खराब मौसम के कारण बुधवार को इसका प्रक्षेपण 24 घंटे के लिए टाल दिया गया था। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफल प्रक्षेपण पर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसी एरियन स्पेस के एरियन-5 उपग्रह प्रक्षेपण यान से 3,404 किलोग्राम वजन वाले इस उपग्रह का प्रक्षेपण किया गया। वीए 231 नामक इस मिशन में जीसैट-18 के साथ ऑस्ट्रेलियाई उपग्रह स्काई मस्टर-2 को भी सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया। प्रक्षेपण यान के उड़ान भरने के करीब 32 मिनट 28 सेकंड बाद जीसैट-18 को उसकी लक्षित स्थानांतरण कक्षा में स्थापित कर दिया गया।
इसरो ने बताया कि एरियन-5 रॉकेट ने इसे 251.7 किलोमीटर की न्यूनतम तथा 35,888 किलोमीटर की अधिकतम दूरी वाले अंडाकार कक्षा में भूमध्यरेखा से छह डिग्री के कोण पर स्थापित किया है। प्रक्षेपण यान से अलग होने के बाद इसरो की कर्नाटक के हसन स्थित मास्टर कंट्रोल फसिलिटी ने उपग्रह को अपने नियंत्रण में ले लिया। प्राथमिक संकेतों में पता चला है कि उपग्रह के सभी उपकरण तथा प्रणालियाँ पूरी तरह ठीक हैं। अाने वाले दिनों में उपग्रह में लगे प्रणोदन प्रणाली से चरणबद्ध तरीके से इसे भूमध्य रेखा से 36 हजार किलोमीटर की ऊँचाई पर भूस्थैतिक कक्षा में 74 डिग्री पूर्वी देशांतर के ऊपर भारत के पहले से मौजूद अन्य संचार उपग्रहों के साथ स्थापित किया जायेगा। इसके बाद उपयोग से पहले कक्षा में उपग्रह का परीक्षण किया जायेगा। इसकी अनुमानित परिचालन आयु 15 साल है।
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