एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण श्रमिकों के मानसिक स्वास्थ्य में दिक्कत आ रही है।
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, मौसम की शिद्दत, जलवायु परिवर्तन से होने वाली तबाही और अत्यधिक गर्मी के नतीजे में चिंता, अवसाद और पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) को बढ़ावा दे रहा है।
बदलता मौसम मज़दूरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का एक कारण है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि श्रमिकों के बीच कई स्वास्थ्य स्थितियां जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हुई हैं, जिनमें कैंसर, हृदय रोग, श्वसन रोग और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं।
“बदलती जलवायु में काम पर सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करना” (Ensuring safety and health at work in a changing climate) शीर्षक वाली रिपोर्ट एक गंभीर तस्वीर पेश करती है। इसके मुताबिक़ 2.4 अरब से अधिक श्रमिकों, जो वैश्विक कार्यबल का 70% है, को अपनी नौकरी के दौरान खतरनाक जोखिम वाली गर्मी का सामना करने की संभावना है। 2000 के बाद से यह संख्या तेजी से बढ़ी है, जो जलवायु परिवर्तन के बिगड़ते प्रभाव को उजागर करती है।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि जलवायु परिवर्तन के खतरे कुछ श्रमिकों की आर्थिक स्थिति को खराब करके उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, बढ़ते तापमान के कारण, किसानों और मछुआरों को क्रमशः कम फसल की पैदावार और कम मछली की संख्या की समस्या का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनका जीवन कठिन हो जाएगा, जिससे चिंता और अवसाद पैदा होगा।
Presenting an overview of the findings of the @ilo report, "Ensuring safety and health at work in a changing climate", Manal Azzi provides a snapshot of the #health impacts that workers face as #ClimateChange affects working conditions globally.
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— GENeva Environment Network (@GENetwork) April 25, 2024
रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन द्वारा निर्मित “खतरों के कॉकटेल” (cocktail of hazards) का वर्णन किया गया है। इसमें हानिकारक पराबैंगनी विकिरण के संपर्क में वृद्धि, बिगड़ता वायु प्रदूषण और मलेरिया और डेंगू बुखार जैसी बीमारियों में वृद्धि शामिल है। ये कारक कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान करते हैं, जिनमें कैंसर, हृदय रोग, श्वसन संबंधी बीमारियाँ और यहाँ तक कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ भी शामिल हैं।
ताजा रिपोर्ट में अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर संघ ने यह बात कही कि श्रमिक संभवतः आर्थिक और काम की अधिकता की समस्या और अपने समुदाय के भविष्य के प्रति आशा खोने के तनाव से पीड़ित हो सकते हैं।
संभावित रूप से लाखों जिंदगियों के खतरे के साथ, आईएलओ का संदेश स्पष्ट है कि हम अपने कार्यबल के लिए जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न स्वास्थ्य जोखिमों को नजरअंदाज नहीं कर सकते।