ऑस्ट्रेलिया की जनगणना के आंकड़ों बताते हैं कि देश की 48.6 प्रतिशत आबादी यानि तकरीबन आधी आबादी ऐसी है जिनके माता या पिता में से कोई एक का जन्म विदेश में हुआ था।
इस जनगड़ना में भारत ने चीन और न्यूजीलैंड को पछाड़ दिया है। जिससे अब देश ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बाद तीसरे नंबर पर आ गया है। आंकड़ों के मुताबिक़ साल 2017 की जनगणना के बाद से देश में 1,020,007 आप्रवासी आबाद हुए हैं।
जनगड़ना से पता चला है कि सबसे बड़ी संख्या में आने वाले विदेशी आप्रवासी भारत से हैं। इसके बाद दूसरा नंबर नेपाल से आने वाले लोगों का है। ऑस्ट्रेलिया में बेस नेपालियों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा है। आंकड़ों के मुताबिक़ ये 123.7 प्रतिशत है। रिकॉर्ड के मुताबिक़ 2016 के बाद से 67,752 ज्यादा नेपाली ऑस्ट्रेलिया में आबाद हुए हैं।
विदेशी मूल में पहला स्थान ब्रिटिश का है। यहाँ ब्रिटिश आबादी 33 प्रतिशत है। इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई संख्या है जो 29.9 प्रतिशत है।
आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि विदेशी मूल के लोगों की संख्या में पहला स्थान ब्रिटिश मूल के लोगों का है। यहाँ बसने वाली ब्रिटिश आबादी 33 प्रतिशत है। इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई संख्या है जो 29.9 प्रतिशतहै। आयरिश 9.5 प्रतिशत की संख्या में हैं जबकि स्कॉटिश 8.6 प्रतिशत हैं। यहाँ बेस चीनियों की तादात 5.5 प्रतिशत है।
जनगणना के अनुसार ऑस्ट्रेलिया का न्यू साउथ वेल्स अब देश का सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है। यहां 31.8 प्रतिशत आबादी निवास करती है। बीते पांच साल में सबसे अधिक आबादी देश की राजधानी कैनबरा की बढ़ी है। इस समय यहाँ 14 प्रतिशत लोग ज्यादा रहते हैं। सबसे ज़्यादा शहरी लोग वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया राज्य में हैं जिसकी ग्रामीण आबादी सिर्फ 20 प्रतिशत है।
भाषा के मामले में जारी आंकड़े बताते हैं कि करीब 56 लाख से ज्यादा लोग अपने घरों में अंग्रेजी के अलावा कोई और भाषा का प्रयोग करते हैं। घरों में अंग्रेजी के अलावा कोई और भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 7,92,062 हो गई है। इसके अलावा यहाँ करीब साढ़े आठ लाख ऐसे लोग हैं जिन्हे अंग्रेजी नहीं आती।