पटकथा लेखक नीरेन भट्ट ने बॉलीवुड में चाय मंडी पर ख़ास बात कही है। इसके लिए उन्होंने रीमेक संस्कृति पर कड़ी आपत्ति जताई है।
रीमेक कल्चर के बॉलीवुड में चलन पर अपनी बात रखते हुए नीरेन भट्ट ने इस संस्कृति का विरोध किया है। उनका कहना है कि अगर लेखकों को जीवित रहना है तो उन्हें संघर्ष करना होगा।
स्क्रीनराइटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी एसडब्ल्यूए की ओर से शुक्रवार को इंडियन स्क्रीनराइटर्स कॉन्फ्रेंस के सातवें संस्करण का आयोजन किया गया। इस दौरान अपनी बात रखते हुए नीरेन भट्ट का कहना था कि हिंदी फिल्म उद्योग के लेखन समुदाय पर संकट मंडरा रहा है।
भारतीय पटकथा लेखक सम्मेलन यानी आईएससी में नीरेन ने पूरी व्यवस्था को टूटी हुई बताया। उनके मुताबिक़ इस समय जो दो तस्वीरें हैं उनमे एक बहुत निराशाजनक है। वह कहते हैं कि सभी लेखक संघर्ष कर रहे हैं। यह उद्योग में लेखकों के लिए सबसे खराब समय है, लेकिन फिर यह आप पर निर्भर है कि आप कैसे आगे बढ़ते हैं।
मूल कहानी कहने के महत्व पर चर्चा करते हुए नीरेन भट्ट ने रीमेक के प्रति बॉलीवुड के मौजूदा जुनून की आलोचना की। इस बारे में उनका कहना है कि महामारी के बाद 25 रीमेक में से 23 फ्लॉप हुई हैं। इस बारे में वह कहते हैं कि सफल होने का एकमात्र तरीका मूल सामग्री बनाना है।
इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि यह सबसे अच्छा समय भी है, क्योंकि सभी स्थापित नियम टूट चुके हैं। पूरी व्यवस्था टूट चुकी है, इसलिए केवल तोड़ने वाले ही बचेंगे और लेखक सबसे बड़े विघटनकारी हैं। जो लोग अपनी बात पर अड़े हुए हैं, उनकी फिल्में काम नहीं कर रही हैं। उन्होंने इसे विघटन के लिए सबसे अच्छा समय बताया।
गौरतलब है कि हाल के वर्षों की ब्लॉकबस्टर फिल्में देने वाले पटकथा लेखक नीरेन भट्ट ने स्त्री 2, मुंज्या और भेड़िया की पटकथा लिखी है। नीरेन भट्ट मैडॉक हॉरर कॉमेडी यूनिवर्स के मुख्य लेखन आर्किटेक्ट रहे हैं।