नई दिल्ली। केंद्रीय श्रम संगठनों (सीटू) की देशव्यापी हड़ताल के कारण शुक्रवार को बैंक सेवाएं, टेलीकॉम और नागरिक यातायात सेवाएं प्रभावित रहेंगी। इस हड़ताल में 10 केंद्रीय श्रम संगठनों ने शामिल होने का ऐलान किया है। सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के विरोध में ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल का आह्वान किया है।
श्रम संगठनों ने ऐलान किया है कि इस साल की हड़ताल श्रमिकों की संख्या के लिहाज से पिछली हड़तालों से बड़ी होगी। संगठनों का दावा है कि हड़ताली में शामिल श्रमिकों की संख्या 18 करोड़ तक जा सकती है। यह पिछले साल की हड़ताल से अधिक है, उसमें 14 करोड़ श्रमिक शामिल हुए थे।
सीटू का कहना है कि सरकार ने उनकी 12 सूत्री मांगों पर ध्यान नहीं दिया है और सरकार एकतरफा तरीके से श्रमसुधार लागू कर रही है। इसके विरोध में देशभर के श्रम संगठन शुक्रवार को काम का बहिष्कार करेंगे। ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन कमेटी के महासचिव एस.पी.तिवारी ने कहा कि इस बार औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों के 18 करोड़ के करीब श्रमिक सरकार की उदासीनता के विरोध में सड़कों पर उतरेंगे।
बंदरगाहों और नागरिक विमानन सेवाओं के अलावा यातायात, टेलीकॉम और बैंकिंग क्षेत्र भी प्रभावित होंगे। अस्पताल और पावर प्लांटकर्मी भी हड़ताल में शामिल होंगे, लेकिन यह विरोध सामान्य कामकाज को प्रभावित नहीं करेगा। तिवारी ने कहा कि कोल इंडिया, गेल, ओएनजीसी, एनटीपीसी, ऑयल, एचएएल और भेल जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के कर्मचारी भी हड़ताल का हिस्सा होंगे। भारतीय रेल और अन्य केंद्र सरकार के कर्मचारी हड़ताल में शामिल नहीं होंगे क्योंकि सरकार ने उनकी मांगों का आकलन करने के लिए कमेटी का गठन कर दिया है।
श्रम संगठनों की मांगों में अखिल भारतीय जन वितरण प्रणाली के माध्यम से महंगाई कम करने, श्रम कानून लागू करने, सभी कर्मचारियों को यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी कवर तथा सरकारी कंपनियों व बैंकों का विनिवेश बंद करना शामिल है। अपनी 12 सूत्री मांगों में श्रम संगठनों ने मासिक न्यूनतम मजदूरी 18,000 रुपये करने और मासिक न्यूनतम पेंशन तीन हजार रुपये करने की बात कही थी।सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के छह कर्मचारी संगठनों ने भी हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है। ऑल इंडिया बैंक इंप्लायज एसोसिएशन (एआईबीईए), बैंक इंप्लायज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए), ऑल इंडिया बैंक आफिसर्स कॉन्फेडरेशन (एआईबीओसी) तथा इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (आईएनबीओसी) ने नोटिस दिए हैं।
नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) तथा नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक ऑफिसर्स हड़ताल में शामिल नहीं हैं। भारतीय स्टेट बैंक समेत अधिकतर बैंकों का मानना है कि अगर हड़ताल होती है, उनकी सेवा प्रभावित हो सकती है। इस बीच, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि बैंकों ने कामकाज सुचारू रूप से चलाने के लिये जरूरी कदम उठाये हैं और खुदरा ग्राहकों के लिये नकदी की कोई समस्या नहीं है।
सीटू ने श्रमिकों की प्रस्तावित हड़ताल पर कहा कि सरकार बोनस और सामाजिक सुरक्षा के बारे में बयानबाजी कर भ्रम पैदा कर रही है। सीटू के महासचिव तपन कुमार सेन ने कहा कि देश के सभी बड़े श्रमिक संघ दो सितंबर की हड़ताल पर डटे हैं। इसे कमजोर करने की सरकार की कोई भी साजिश सफल नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारु दत्तात्रेय का बोनस और सामाजिक सुरक्षा के बारे में जारी किया गया बयान भ्रम पैदा करने वाला है।