दुनिया के कई कोनों में आज भी करोड़ों बच्चे ऐसे हैं जो सुबह उठने के बाद कारखानों और बाज़ारों में काम पर जाने के लिए मजबूर हैँ। हालांकि बाल मज़दूरी का उन्मूलन करने की दिशा में प्रगति दर्ज की गई है लेकिन इसके बावजूद, अनेक देशों में विशाल संख्या में बच्चों के लिए ये अब भी उनके दैनिक जीवन की सच्चाई है।
अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के एक नए अध्ययन के अनुसार, 2024 में 13.8 करोड़ बच्चे बाल श्रम का शिकार थे। इनमें से 5.4 करोड़ बच्चे जोखिम भरी परिस्थितियों में काम करते हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य, सलामती और विकास पर असर पड़ता है।
रिपोर्ट के अनुसार, 61 प्रतिशत बच्चे कृषि कार्य में मज़दूरी कर रहे हैं, जिसके बाद सेवाओं, जैसेकि घरेलू कामकाज या बाज़ारों ख़रीदारी कार्य का स्थान है। 13 प्रतिशत बाल श्रमिक खनन व विनिर्माण क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
बाल श्रम उन्मूलन हेतु अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने 2025 तक का लक्ष्य स्थापित किया था मगर यह पहुँच से काफी दूर नज़र आ रहा है। इस बीच बाल श्रमिकों की संख्या 2000 में 24.6 करोड़ थी, जो अब 13.8 करोड़ हो गई है।
रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि कुछ बच्चे तपती धूप में खेतों की देखभाल करते हैं, बहुत से बच्चे किसी अजनबी के घर की सफ़ाई या दुकानों, ढाबों में हाथ बंटाते हैं, तो अन्य खदानों में काम पत्थर तोड़ते हैं या फिर कचरा एकत्र करते हैं।
इन चिन्ताजनक आँकड़ों के बावजूद, यह अध्ययन दर्शाता है कि वर्ष 2020 के बाद से अब तक, बाल श्रमिकों की संख्या में 2.2 करोड़ की गिरावट आई है।
2016 व 2020 के दौरान बाल श्रमिकों की संख्या में आए बड़े उछाल को ध्यान में रखते हुए, यह एक उल्लेखनीय प्रगति है, लेकिन यह अब भी एक विशाल चुनौती है।
अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने वर्ष 2025 तक बाल श्रम के उन्मूलन का लक्ष्य स्थापित किया था, और मौजूदा आँकड़ों से स्पष्ट है कि यह फ़िलहाल पहुँच से दूर है। हालांकि बाल श्रमिकों की संख्या 2000 में 24.6 करोड़ थी, जो अब 13.8 करोड़ हो गई है।
इस रिपोर्ट के हवाले से यूएन श्रम एजेंसी के महानिदेशक गिल्बर्ट होंगबो उम्मीद जताते हैं कि प्रगति सम्भव है, लेकिन हमें यह समझना होगा कि अभी एक लम्बा रास्ता तय किया जाना है।
एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में, यह दर 5.6 प्रतिशत से घटकर 3.1 प्रतिशत पहुँच गई है, और बाल श्रमिकों की संख्या में भी गिरावट आई है। यह 4.9 करोड़ से कम होकर अब 2.8 करोड पर पहुँची है।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की कार्यकारी निदेशक ने ज़ोर देकर कहा कि क़ानूनी रक्षा उपायों, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में विस्तार, वयस्कों के लिए रोज़गार अवसरों के सृजन और निशुल्क व गुणवत्तापरक शिक्षा में निवेश के ज़रिए बाल श्रम का अन्त किया जा सकता है।
उन्होंने चेतावनी दी है कि मानवतावादी उद्देश्यों के लिए वैश्विक धन कटौती से अब तक दर्ज की गई प्रगति की दिशा उलट सकती है।
यदि शिक्षा के लिए बजट सिकुड़ता है और सामाजिक सुरक्षा उपाय कमज़ोर होते हैं तो अधिक संख्या में परिवार अपने बच्चों को स्कूलों के बजाय काम पर भेजने के लिए मजबूर हो सकते हैं।